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स्वास्थ्य विभाग व पुलिस के सामने अड़ी भाकियू

पुरकाजी में कोरोना मरीजों को गांव में लेने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) अड़ गई। पुलिस बुलाने के बावजूद स्वजन मरीजों को न भेजने पर अड़ गए। हंगामा होने पर टीम बिना मरीजों के वापस चली गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:49 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 11:49 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग व पुलिस के सामने अड़ी भाकियू
स्वास्थ्य विभाग व पुलिस के सामने अड़ी भाकियू

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पुरकाजी में कोरोना मरीजों को गांव में लेने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) अड़ गई। पुलिस बुलाने के बावजूद स्वजन मरीजों को न भेजने पर अड़ गए। हंगामा होने पर टीम बिना मरीजों के वापस चली गई।

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भूराहेड़ी गांव में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस के साथ कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीजों को बेगराजपुर ले जाने के लिए पहुंची। स्वजनों ने मरीजों को भेजने से मना कर दिया। कहा कि घर पर ही मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है। विरोध होने पर टीम लौट गई। संक्रमितों के स्वजन की ओर से भाकियू के ब्लाक अध्यक्ष मांगेराम त्यागी व प्रधान पति मोनू पंवार पहुंच गए। भाकियू नेताओं ने मरीजों को इस तरह ले जाने का विरोध किया।

इनका कहना है..

बुजुर्ग मरीज घर पर ही स्वस्थ हो रहे हैं। टीम सभी संक्रमितों को जबरन ले जाना चाह रही थी। इसलिए भाकियू ने विरोध किया।

- मांगेराम त्यागी, ब्लाक अध्यक्ष भाकियू

सरकार 60 से ज्यादा उम्र के मरीजों को गंभीर मानकर चलती है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में ही रखा जाता है। गांव में टीम इसी तरह के मरीजों को लेने गई थी। विरोध के चलते मरीजों को छोड़ना पड़ा।

- डा. अरुण कुमार, प्रभारी चिकित्साधिकारी, पुरकाजी बेवजह घूमने से बाज नहीं आ रहे लोग

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पुरकाजी में पुलिस की सख्ताई के बावजूद लोग बाहर घूमने से बाज नहीं आ रहे हैं। सड़कों पर बिना बात इधर से उधर घूम रहे है। गांवों में दुकानों पर भारी भीड़ जुट रही है।

लाकडाउन कड़ाई से लागू करने के लिए पुलिस दिन-रात मेहनत से जुटी है। सुबह से ही पुलिस कई स्थानों पर बिना मास्क तथा बिना बात घूमने वालों के चालान काटने शुरू कर देती है, लेकिन कुछ लोग हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते। बिना बात सड़क पर घूमना उनकी आदत बन गई है। पूरा दिन बाइकों को दौड़ाते फिरते रहते हैं। पुलिस को देखते ही या तो इधर-उधर छिप जाते है या फिर छोटी गलियों में गुम हो जाते हैं। गांवों और गली मोहल्लों में और भी बुरा हाल है। यहां बड़ी दुकानों पर सुबह-शाम ग्राहकों की भारी भीड़ जुटती है। दुकानों पर लाकडाउन की खुलकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। कोई समझाने का प्रयास करता है तो नियम तोड़ने वाले उससे लड़ने को तैयार रहते हैं।


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