जिन्हें सम्मान नहीं मिल रहा, मोर्चा में आएं : शिवपाल
राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में अन्याय के विरुद्ध उठी आवाज, सांप्रदायिक सौहार्द पर जोर। सपा सेक्यूलर मोर्चा की पहली सभा में पहुंचे कृष्णम, मौलाना अंसार रजा व शिवपाल।
बुढ़ाना (मुजफ्फरनगर) : पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि वह प्रदेश की तस्वीर और जनता की तकदीर बदलने में जुटे हैं। इसीलिए उन्होंने सपा सेक्यूलर मोर्चा का गठन किया है। कहा कि हालात ये हैं कि गरीब और मजलूमों की सुनने वाला कोई नहीं है। वह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि समाज के प्रत्येक तबके को सम्मान और उसका अधिकार दिलाएंगे।
सपा सेक्यूलर मोर्चा के गठन के बाद कस्बे में आयोजित 'राष्ट्रीय एकता सम्मेलन' में शिवपाल यादव ने अपनी कहानी बयां करते हुए कहा कि उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। वह हमेशा नेताजी के साथ खड़े रहे, उन्हें फंसाने की साजिश हुई तो उसे नाकाम किया। बस उनका यही कसूर रहा। उन्होंने मोर्चे की सफलता के लिए धर्मगुरुओं से आशीर्वाद मांगा। कहा कि इज्जत देने वाले या तो वे हैं या फिर ऊपरवाला। उन्होंने सोचा था कि परिवार न टूटे और नेताजी का अपमान भी न हो, कसम खाई थी कि टिकट भी नहीं चाहिए, बस सम्मान मांगा था। यादव ने स्पष्ट किया कि उनकी बीजेपी वालों से कोई बात नहीं हुई, फिर भी झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है। कहा कि वह जो संघर्ष कर रहे हैं, उसे तोड़ने और उनके उद्देश्य को भटकाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने आह्वान किया कि जिन लोहियावादियों, समाजवादियों को सम्मान न मिल रहा हो, वे इस मोर्चे में आएं। भरोसा दिलाया कि मोर्चे में सबको सम्मान दिया जाएगा। कल्की पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि मुल्क के बंटवारे पर दस्तखत मुसलमानों ने नहीं, बल्कि महात्मा गांधी ने किए थे। आज मुल्क में जाति और ¨हदू-मुस्लिम के नाम पर नंगा नाच हो रहा है। सपा सेक्यूलर मोर्चा गरीब व मजलूम की आवाज उठाएगा। फिरकापरस्त लोगों के सामने घुटने नहीं टेकेगा।
मौलाना अंसार रजा ने कहा कि ¨हदू-मुस्लिम एकता की बात करने वालों को सीबीआइ के नाम से डराया जा रहा है। मुसलमानों को इस मुल्क से निकालने की बात की जा रही है।
कार्यक्रम का आयोजन मरगूब त्यागी प्रभारी उत्तर प्रदेश ने किया। इस दौरान कादिर सिद्दीकी, फरहम हसन खां आदि ने भी अपनी बात कही। दंगा शांत कराकर ही लौटा था
शिवपाल यादव ने कहा कि 2013 में जब मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ था, तब वह यहां आए थे। वह दंगे के दौरान दो दिन तक मुजफ्फरनगर में रहे और दंगा शांत कराकर ही यहां से लौटे थे। यहां उन्होंने प्रत्येक वर्ग से बात कर अमन कायम कराने का काम किया था। सहारनपुर में दंगा हुआ तो वह वहां भी गए।