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वीर शिवाजी ने खतौली में की थी शिव उपासना

खतौली कस्बे के बुढ़ाना मार्ग पर मुस्लिम आबादी इस्लामनगर व नई आबादी में दो विशाल प्राचीन महादेवालय हैं। मंदिरों के मुस्लिम आबादी में होने से यहां महादेव और मोहम्मद की एकरूपता दिखाई देती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:34 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:34 AM (IST)
वीर शिवाजी ने खतौली में की थी शिव उपासना
वीर शिवाजी ने खतौली में की थी शिव उपासना

मुजफ्फरनगर, जेएनएन । खतौली कस्बे के बुढ़ाना मार्ग पर मुस्लिम आबादी इस्लामनगर व नई आबादी में दो विशाल प्राचीन महादेवालय हैं। मंदिरों के मुस्लिम आबादी में होने से यहां महादेव और मोहम्मद की एकरूपता दिखाई देती है। श्रावण मास और फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि पर दोनों मंदिरों पर भगवान महादेव को गंगा जल अर्पण करने के लिए कांवड़ियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मुस्लिम आबादी वाले ये मोहल्ले शिवरात्रि के मौके पर जय भोले के उद्घोष से गुंज उठते हैं।

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इस्लामनगर में स्थित थानेश्वर महादेवालय और मोहल्ला नई आबादी स्थित झारखंड महादेवालय का इतिहास पांच सदी पुराना है। थानेश्वर महादेवालय पर छत्रपति शिवाजी ने शिव की अराधना की थी। वहीं झारखंड महादेवालय का इतिहास भी मराठा काल से है। मंदिर के ऊपर बनी बुर्ज महादेवालय की मराठा काल की प्राचीनता को दर्शाते हैं। दोनों विशाल प्राचीन मंदिरों में शिवलिग के ऊपर चौमुखी और पंचमुखी शिवलिग है। थानेश्वर व झारखंड मंदिरों का निर्माण मराठा काल का माना जाता है। इसलिए मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास में यहां पूजा अर्चना के श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मुस्लिम आबादी में मंदिरों के होने के बावजूद यहां जो सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिलता हैं, वह अनुकरणीय है। यहां रोजाना मस्जिदों में अजान और शिवालय में घंटे गूंजते हैं। खास बात है कि मुस्लिम इन मंदिरों का पूरा ख्याल रखते हैं। कांवड़ यात्रा के मौके पर कांवड़ियों के लिए रास्ता छोड़ा जाता है।

इनका कहना है

थानेश्वर महादेवालय करीब आठ सौ वर्ष पुराना है। उस दौर में मराठा व मुगलों का शासन था। छत्रपति शिवाजी ने मुगलों से लोहा लिया। शिवाजी ने खतौली क्षेत्र के आगमन पर शिवलिग की पूजा की। उसी दौर में मंदिर का निर्माण हुआ। मुस्लिम आबादी में मंदिर होने पर यहां मुस्लिमों को बहुत सहयोग मिलता है। मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है।

-मंगनानंद चमोला श्री झारखंड महादेवालय मराठा काल से भी पहले बना है। शिवाजी महाराज ने यहां भी पूजा पूजा अर्चना की थी। मंदिर पर बनी बुर्ज उसके मराठा काल का होने की पौराणिकता को दर्शाते है। मंदिर मे पंचमुखी शिवलिग है। मुस्लिम भाई मंदिर का ख्याल रखते हैं।

- सुधीर गोयल


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