छात्रों को दिखाई संस्कार व परोपकार की राह
डीवीए कॉलेज में दैनिक जगारण का 'चेतना सत्र' कार्यक्रम। प्रधानाचार्य ने मंच से छात्र-छात्राओं को सुनाई प्रेरक कहानी।
मुजफ्फरनगर : विद्यार्थी समाज के कर्णधार हैं। उन्हें अच्छे कार्यो से आने वाले कल को संवारना है, जिसके चलते उन्हें संस्कारयुक्त शिक्षा की जरूरत है। भविष्य में सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए यदि कठिनाई चट्टान की भांति सामने खड़ी हो जाए तो उनके कदम डगमगाए नहीं, बल्कि जीत का जज्बा और जुनून के साथ वे मंजिल हासिल कर करें। धर्म की रक्षा करते हुए परोपकार का मार्ग अपनाए, ताकि इंसानियत ¨जदा रहे।
दैनिक जागरण संस्कारशाला के 'चेतना सत्र' कार्यक्रम में डीएवी इंटर कॉलेज में बच्चों को ज्ञानवर्धक शिक्षा दी गई। प्रधानाचार्य शिवकुमार यादव ने विद्यार्थियों को संस्कारशाला की कहानी 'संवेदनशीलता से बदलेगा समाज' पढ़कर सुनाई। उन्होंने कहा, कहानी सुनो और जीवन में उतारो। कहानी से शिक्षक भी सीख ले सकते हैं। बीच-बीच में कहानी का भाव भी समझाया। कहानी के पात्र आरुषि, रिया और उनके परिजनों की मनोदशा से भी अवगत कराया। गिलहरी के बच्चों को बचाने की कहानी सुन छात्र-छात्राएं भाव विभोर हो गए। प्रधानाचार्य ने छात्रों को कहानी का प्रेरक संदेश देते हुए कहा कि जीव-जंतुओं को भी दर्द होता है। उन्हें उपचार की जरूरत होती है। कहानी की दोनों बालिकाओं की बातों को जीवन में उतारने की अपील करते हुए कहा कि परोपकार और संस्कार साथ चलते हैं। सभी छात्र-छात्राएं प्रण लें कि बड़े-बुजुर्गो का सम्मान करेंगे। मोबाइल, टीवी और लेपटॉप से चिपकेंगे नहीं, बल्कि घर के बुजुर्गो को महत्व देंगे। उनकी सेवाभाव में लगेंगे।
'चेतना सत्र' में कहानी के पांच सवाल भी पढ़कर बताए गए। कहा कि ये सवाल ॉभर नहीं है, बल्कि बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। संदेश देते हैं कि पाठ्यक्रम को रटना नहीं है, बल्कि समझना है, जो विभिन्न परीक्षाओं के लिए भी बहुमूल्य है। इस दौरान डॉ. राहुल, सत्यकाम व इच्छाराम आदि मौजूद रहे। 'चेतना सत्र' में बच्चों ने दिखाया उत्साह
दैनिक जागरण संस्कारशाला की कहानी से काफी कुछ सीखने को मिला। इस कहानी को अपने जीवन में उतारेंगे। दूसरों पर परोपकार से ही समाज में बदलाव आएगा।
हर्ष मित्तल कहानी के पांचों सवाल बड़े रोचक और ज्ञानवर्धक हैं। बड़प्पन दूसरों की भलाई में ही है। कहानी का सारांश सेवाभाव से है, जिसे रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया।
विवेक वर्मा बड़ा इंसान बनकर भी अपने संस्कारों को भूलना नहीं चाहिए। मनुष्य की मृत्यु के बाद भी उसके व्यक्तित्व से पहचाना जाता है।
कार्तिक धीमान दूसरे का सम्मान करने से खुद का सम्मान होता है। सदाचार और अच्छे कर्म से मनुष्य महान बनता है, स्वयं की तारीफ करने से नहीं।
नेहा संवेदनाओं से लोगों की सोच बदलती है और सोच से समाज बदलता है। समाज में उसी का आदर होता है, जो दूसरों को महत्व देता है।
सलोनिका दैनिक जागरण में छपी कहानी को बड़े ध्यान से पढ़ा। माता-पिता को कहानी के बारे में बताया। सेवाभाव का संदेश देती कहानी को जीवन में उतारने की जरूरत है।
अनुष्का शिक्षक और माता-पिता अच्छे-बुरे के बारे में बताते हैं। अच्छाई का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन सफलता इसी मार्ग से मिलती है।
खुशी पाल संस्कारशाला की कहानी शिक्षा देती है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। साथ ही सभी प्राणियों से प्रेम और परोपकार का संदेश देती है।
प्रेरणा सैनी