एआरटीओ दफ्तर में तालाबंदी, सड़क पर जाम
किसानों के ट्रैक्टर सीज करने पर भड़के रालोद कार्यकर्ता। परिवहन निगम की कार्रवाई का जमकर विरोध किया।
मुजफ्फरनगर : पुराने ट्रैक्टरों को सीज करने पर रालोद कार्यकर्ता भड़क गए। परिवहन विभाग की कार्रवाई के विरोध में नारेबाजी की गई। गुस्साए कार्यकर्ताओं ने एआरटीओ कार्यालय पर तालाबंदी कर दी। इससे विभागीय कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई। सीज किए गए ट्रैक्टरों को छुड़ाने के लिए कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर दी। हंगामा होने पर तुरंत सिटी मजिस्ट्रेट पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर किसी तरह जाम खुलवाया गया।
सरकुलर रोड स्थित पार्टी कार्यालय पर जिलाध्यक्ष अजीत राठी के नेतृत्व में बैठक का आयोजन किया, जिसमें कार्यकर्ताओं ने पुराने वाहनों पर हो रही कार्रवाई का विरोध किया। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने एकत्र होकर एआरटीओ कार्यालय तक पदयात्रा निकाली और नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रशासन का रवैया तानाशाही है। रालोद किसानों के मुद्दों पर लड़ाई लड़ेगा। जिले में प्रदूषण किसानों के ट्रैक्टरों से ज्यादा प्रशासन के दौड़ रहे पुराने वाहन फैला रहे हैं। एआरटीओ कार्यालय पर अधिकारी नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं का पारा चढ़ गया। मुख्य गेट पर तालाबंदी कर धरने पर बैठ गए। विभाग पर नारेबाजी कर सीज किए गए ट्रैक्टरों को छुड़ाने की मांग पर कार्यकर्ताओं ने मेरठ रोड जाम कर दी। इससे सड़क के दोनों ओर जाम लग गया। हंगामा होने की सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार, सीओ सिटी हरीश भदौरिया सिविल लाइन और कोतवाली पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद एआरटीओ प्रवर्तन विनीत मिश्रा, प्रशासन राजीव कुमार बंसल ने कार्यकर्ताओं को समझाकर किसी तरह शांत किया।इस दौरान बिरम ¨सह बालियान, अनिल बालियान कृष्णपाल राठी, कंवरपाल फौजी, पराग चौधरी, सुधीर भारतीय, विदित मलिक, धर्मेंद्र तोमर, अशोक बालियान, ब्रजवीर ¨सह, जगपाल ¨सह, मुकेश प्रधा पंकज राठी, डॉ वसीम, आदिल प्रधान, संजय शर्मा, अश्वनी, सुलेमान, विनोद खेड़ी, मोनू राहुल राणा आदि मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं की अफसरों से झड़प
मेरठ रोड पर जाम के दौरान कार्यकर्ताओं की अधिकारियों के साथ नोकझोंक हुई। कार्यकर्ताओं ने कहा कि किसानों के ट्रैक्टर खेतों में चलता है। किसान परिवार की दो पीढि़यां एक ही ट्रैक्टर के बलबूते खेती करती हैं, मगर अब उन्हें बंद किया जा रहा है। ऐसे में किसान हर दस साल में अपना ट्रैक्टर नहीं बदल सकता है। चूंकि एक ट्रैक्टर की कीमत लाखों रुपये आती है। मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम
रालोद पदाधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार प्रदूषण की आड़ में जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम कर रही है। प्रदूषण की मात्रा शहरों में है। गांवों में हरियाली, खेती और कृषि होती है। शहरों के भीतर छोटे-बड़े वाहनों की भीड़ ज्यादा है। औद्योगिक इकाईयां हैं, जिनसे प्रदूषण फैल रहा है। पहले इन पर कार्रवाई की जाए।