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खौफ के साए में गुजरे दो दिन-दो रातें

देश की सुरक्षा से जुड़े मामले कितने संवेदनशील होते हैं इसका अंदाजा लगाना आम आदमी के लिए नामुनकिन सा है। जासूसी के शक में पकड़े गए गांव शेरपुर के दोनों युवकों ने आपबीत बताई तो सुनने वालों के रोंगटे खड़े गए। युवकों ने बताया कि आर्मी हिरासत में दो दिन और दो रातें खौफ के साए में गुजरीं। खाना

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 06:33 AM (IST)
खौफ के साए में गुजरे दो दिन-दो रातें
खौफ के साए में गुजरे दो दिन-दो रातें

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। देश की सुरक्षा से जुड़े मामले कितने संवेदनशील होते हैं, इसका अंदाजा लगाना आम आदमी के लिए नामुमकिन सा है। जासूसी के शक में पकड़े गए गांव शेरपुर के दोनों युवकों ने आपबीती बताई तो सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। युवकों ने बताया कि आर्मी हिरासत में दो दिन और दो रातें खौफ के साए में गुजरीं। खाना-पानी समय पर मिलता रहा, लेकिन एक-एक पल एक-एक बरस के बराबर लगा। जांच एजेंसी रात में आंख पर पट्टी बांधकर पूछताछ के लिए अलग-अलग स्थानों पर ले जाती थीं।

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रविवार सुबह मेहताब और रागिब के गांव शेरपुर पहुंचने पर परिजनों में जश्न का माहौल रहा, लेकिन दोनों युवकों के जेहन से आर्मी हिरासत का समय भुलाए नहीं भुलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि देश की सुरक्षा कितनी अहम होती है, इसका अंदाजा उन्हें आर्मी हिरासत में रहकर पता लग सका। आर्मी हिरासत में लेने के बाद उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया था। जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने एक-एक सवाल 50-50 बार पूछे। हर बार पाकिस्तानी कनेक्शन पर सवाल पूछे गए। केवल पूछा ही नहीं गया, बल्कि उनकी बातों को रिकार्ड भी किया गया। साथ ही हर बार डायरी में नोट भी किया गया। जांच एजेंसी एक-स्थान से दूसरे स्थान पर आंखों पर पट्टी बांधकर ले जातीं थीं। रात के समय उनका स्थान बदला जाता था। आंखों पर पट्टी बंधते ही मन में अनेक प्रकार की आशंकाएं उमड़ने लगती थीं। पूछताछ के दौरान एक दूसरे से बातचीत तक करने की मनाही थी। एक दिन और एक रात की पूछताछ के बाद जब आर्मी ने हिसार पुलिस को सौंपा तो आशंकाएं और बढ़ गईं, लेकिन उन्होंने अपने बयान नहीं बदले। जैसे किया वैसा ही बताया। इसके बाद फिर आर्मी कैंप में भेजा गया। एक रात दोनों को अलग-अलग रखकर पूछताछ की गई। इस भयावह रात को वे कभी नहीं भुला पाएंगे। रागिब ने बताया कि उसने आर्मी अधिकारी से कहा था कि हमारा तनिक भी फाल्ट हो तो फांसी दे दीजिए, अन्यथा घर जाने की इजाजत। रात गुजरने के बाद जब सुबह दोनों को एकसाथ मिलाया गया, तब जान में जान आई।

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भाजपा राज में मिला इंसाफ

दोनों युवकों ने कहा कि भाजपा को लेकर मुस्लिम समाज की धारणा अक्सर नकारात्मक रहती है, लेकिन इस घटना से साबित होता है कि भाजपा राज में इंसाफ होता है। इस मामले में किसी प्रकार की सियासत नहीं हुई, उन्हें आर्मी और हिसार पुलिस ने हिन्दू-मुस्लिम के चश्मे से नहीं देखा। 48 घंटे की पूछताछ के बाद आर्मी अधिकारियों के तेवर नरम पड़ गए थे। बेकसूर पाए जाने पर जब उन्हें छोड़ गया तो एक अधिकारी ने बेटा कहकर संबोधित करते हुए कहा कि खुशी और शान से घर जाओ।


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