जच्चा की हालत बिगड़ने पर सीएचसी में हंगामा
भैंसी गांव की जच्चा व उसे नवजात बच्चे की हालत बिगड़ने पर शुक्रवार को पति व भाकियू तोमर के कार्यकर्ताओं ने चिकित्सकों पर लापरहवाहीं का आरोप लगाते हुए सामुदायिक स्
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। खतौली के भैंसी गांव की जच्चा और उसे नवजात बच्चे की हालत बिगड़ने पर शुक्रवार को पति और भाकियू तोमर के कार्यकर्ताओं ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर हंगामा किया। इसके विरोध में डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया। पुलिस अस्पताल पहुंची और लोगों को समझाकर शांत किया। चिकित्सकों ने जच्चा को बुलवाकर उसका उपचार किया।
गांव भैंसी निवासी अनिल पुत्र राजेंद्र की पत्नी आरजू की 12 सितंबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डिलीवरी हुई थी। उसकी पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। आशा व परिवार के लोग अस्पताल से जच्चा व नवजात को घर ले गए थे। घर कुछ दिन बाद जच्चा को दर्द होने लगा। नवजात की भी हालत खराब हो गई। परिजनों ने आरजू को प्राइवेट महिला चिकित्सक को दिखाया तो चिकित्सीय परीक्षण में उसके शरीर में पट्टी निकली। इस पर अनिल सीएचसी पहुंचा और महिला चिकित्सक से शिकायत की, लेकिन उन्होंने उसकी कोई सुनवाई नहीं की। भाकियू तोमर के ब्लाक अध्यक्ष विशाल अहलावत कार्यकर्ताओं के साथ अस्पताल पहुंचे और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। हंगामे के चलते डाक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया। चिकित्सा अधीक्षक ने थाने पर सूचित किया। पुलिस अस्पताल पहुंची और हंगामा कर रहे लोगों को शांत किया। चिकित्सकों ने डिलीवरी में उनकी लापरवाही से इन्कार किया। जच्चा को अस्पताल बुलवाया गया। महिला चिकित्सक ने उसका परीक्षण का प्रयास किया तो उसने मना कर दिया। चिकित्सकों व लोगों के समझाने पर उपचार कराने पर वह सहमत हुई।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजीव निगम एवं महिला चिकित्सक डॉ शिखा गुप्ता का कहना है कि प्रसव के बाद जच्चा और नवजात को देखभाल के लिए 48 घंटे रखा जाता है। चिकित्सकों की सहमति पर जच्चा को डिस्चार्ज किया जाता है। आरजू को प्रसव के बाद आशा व परिवार के लोग कब ले गए, उन्हें उसकी जानकारी नहीं दी गई। आरजू का साधारण प्रसव हुआ। उसमें चिकित्सकों का कोई दोष नहीं है। उधर, चिकित्सकों ने अस्पताल में पुलिस तैनाती की मांग की है।