खुड्डा के नकल माफिया के सामने सिस्टम फेल
कटने के बावजूद शासन से ही बनवा लेते थे परीक्षा केंद्र। डॉ. जाकिर मेमोरियल से ही खेला जा रहा था बड़ा खेल।
मुजफ्फरनगर (राशिद अली) : बरसों से ठेके पर कराई जा रही नकल पर माफिया का शिकंजा इतना कड़ा था कि चाहकर भी कोई अधिकारी उस पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। आठ वर्ष पूर्व एक अधिकारी ने इस वर्चस्व को तोड़ने के लिए नकल कराने में बदनाम रहे माफिया के कॉलेज पर ही हाथ डाल दिया था, लेकिन शासन स्तर से उक्त फैसले को पलटवाकर माफिया ने साबित कर दिया था कि लूट के इस खेल में किसी ईमानदार अधिकारी की कितनी हैसियत होती है।
ठेके पर नकल कराने का धंधा जनपद में वर्षों से चल रहा है। इनमें खुड्डा के इंतखाब और उसका भाई अख्तर बड़ा नाम हैं। शिक्षा विभाग के बड़े अफसर इनके हाथों में खेलते रहे हैं। प्रत्येक वर्ष बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों से नकल के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिए जाते हैं। इस खेल में माफिया की मर्जी चलती है, लेकिन इसमें छोटे से लेकर बड़ा अधिकारी तक शामिल रहता है। बसपा सरकार के दौरान भीम ¨सह डीआइओएस बनकर आए तो उन्होंने जनपद में नकल माफिया के वर्चस्व को तोड़ने का प्रयास शुरू किया। माफिया को झटका देने के लिए 2011 बोर्ड परीक्षा से पूर्व उन्होंने छपार क्षेत्र के खुड्डा में संचालित डॉ. जाकिर हुसैन मैमोरियल इंटर कॉलेज को परीक्षा केंद्र न बनाने का निर्णय लेते हुए जिला स्तरीय सूची से उसका नाम काट दिया। जिला स्तर पर गठित परीक्षा समिति अध्यक्ष के तौर पर तत्कालिक डीएम संतोष यादव ने भी उक्त परीक्षा केंद्र को हटाने की संस्तुति कर दी, लेकिन मंडलायुक्त स्तर पर हुई समिति की बैठक में इस कालेज को फिर से बोर्ड परीक्षा केन्द्रों की सूची में शामिल कर लिया गया। तत्कालिक डीएम संतोष यादव के स्थानांतरण के बाद पंकज कुमार ने डीएम का चार्ज लिया तो एक शिकायत पर उन्होंने डीआइओएस भीम ¨सह से डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल इंटर कॉलेज खुड्डा को परीक्षा केन्द्र बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। जिसके बाद यह सच्चाई सामने आई कि उक्त कालेज को परीक्षा केंद्र बनाने के लिए तत्कालीन बसपा सरकार के एक भारी भरकम कैबिनेट मंत्री ने उस समय के मंडलायुक्त से कड़ी सिफारिश की थी। उस घटना के बाद कॉलेज संचालक अख्तर और कमर इंतखाब का बोर्ड परीक्षा में नकल पर वर्चस्व साबित हो गया। शुरुआत में उनकी आर्थिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन कुछ वर्षों के दौरान ही उन्होंने करोड़ों का एंपायर खड़ा कर लिया। रिपोर्ट देने के बाद साधनी पड़ी थी चुप्पी
करीब आठ वर्ष पूर्व तत्कालिक डीएम ने उस समय के जीआइसी प्रधानाचार्य डा. एमपी ¨सह को कुछ बोर्ड परीक्षा केंद्र की सूची सौंपकर जांच के निर्देश दिये थे। जीआइसी प्रधानाचार्य डॉ. एमपी ¨सह जांच को इंटर कॉलेज खुड्डा पहुंचे तो उस समय के नियम के विपरीत कॉलेज में लगे सीसीटीवी कैमरों को देखकर उनका माथा ठनका। सीसीटीवी कैमरों को उन्होंने बोर्ड परीक्षा की गोपनीयता भंग करना मानते हुए डीएम को रिपोर्ट दी। लेकिन रिपोर्ट पर कार्रवाई की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका।