ट्रेनों में यात्री कम, प्लेटफार्म पर ट्रेन गुजरते ही सन्नाटा
दिल्ली-देहरादून रूट पर कुछ ट्रेनों का संचालन सुचारु होने पर रेलवे स्टेशन पर यात्री पहुंचने लगे हैं लेकिन पहले जैसी स्थिति का ट्रेनों के अंदर से लेकर प्लेटफार्म तक अभाव नजर आ रहा है। सुबह की पैसेंजर ट्रेनें न होने से यात्री रोडवेज का ही सफर कर रहे हैं। प्लेटफार्म पर चाय और खाने के स्टाल भी एक-दो ही चलने पर वेंडर्स ट्रेनों में चाय लेकर पहुंच रहे हैं।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। दिल्ली-देहरादून रूट पर कुछ ट्रेनों का संचालन सुचारु होने पर रेलवे स्टेशन पर यात्री पहुंचने लगे हैं, लेकिन पहले जैसी स्थिति का ट्रेनों के अंदर से लेकर प्लेटफार्म तक अभाव नजर आ रहा है। सुबह की पैसेंजर ट्रेनें न होने से यात्री रोडवेज का ही सफर कर रहे हैं। प्लेटफार्म पर चाय और खाने के स्टाल भी एक-दो ही चलने पर वेंडर्स ट्रेनों में चाय लेकर पहुंच रहे हैं।
मुजफ्फरनगर से होते हुए दिल्ली-देहरादून और पंजाब की ओर जाने वाली ट्रेनों की संख्या 24 से अधिक है, जो लाकडाउन में बंद हो गई थी। जनवरी में इस रूट पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, जनशताब्दी, शताब्दी एक्सप्रेस, पुरी, अहमदाबाद सहित कुछ अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन सुचारु होने के बाद भी बड़ी संख्या में यात्रियों का अभाव है। सुबह और शाम के समय ड्यूटी पर आने-जाने वाले यात्री ही सामान्य टिकट लेकर इन ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं। इसके अलावा इन एक्सप्रेस ट्रेनों में रिजर्वेशन टिकट पर ही यात्री अधिक हैं। गिने-चुने वेंडर्स प्लेटफार्म और ट्रेनों के कोच में चाय उपलब्ध करा रहे हैं। स्टाल संचालक कोरोना के पूर्ण रूप से खत्म होने के इंतजार में है। वहीं कम यात्रियों के चलते टिकट खिड़कियों पर शारीरिक दूरी बनाकर टिकट लिए जा रहे हैं। प्लेटफार्म पर भी यात्री शारीरिक दूरी बनाकर बैठ रहे हैं। स्टेशन पर तैनात पुलिसकर्मी यात्रियों व वेंडर्स से मास्क का पालन करा रहे है, जिसके डर से बिना मास्क के स्टेशन पर यात्रियों की भी एंट्री नहीं हो रही है। इन्होंने कहा..
दिल्ली-देहरादून और अंबाला रूट पर एक्सप्रेस ट्रेनें चलने से यात्री पहुंचने लगे हैं, लेकिन 20 प्रतिशत ही यात्री है। रिजर्वेशन वाले यात्री ही ट्रेनों में अधिक यात्रा कर रहे हैं। स्टेशन पर वेंडर्स और यात्रियों से मास्क और शारीरिक दूरी का भी पालन कराया जा रहा है। प्लेटफार्म पर भीड़ कम है।
- विपिन त्यागी, स्टेशन अधीक्षक
न गूंजता चाय..चाय का शोर, न दिखता किताबों का ठिकाना
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना काल रेलवे स्टेशन की रौनक छीन ले गया। देशभर में अनलाक हो चुका है, लेकिन पूर्ण रूप से ट्रेन पटरियों पर दौड़ती नहीं दिखी है। रेलवे स्टेशन पर न चाय-चाय की आवाज गूंज रही है, न ही किताबों का ठिकाना नजर आता है। दिल्ली-देहरादून के बीच स्पेशल ट्रेनों का संचालन हो रहा है। मगर यात्रियों को पैसेंजर ट्रेन का इंतजार है।
खतौली रेलवे स्टेशन से एक्सप्रेस और पैसेंजर समेत करीब 50 ट्रेनों का आवागमन होता है। 22 मार्च से पैसेंजर ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद है। अनलाक होने के बाद रेल मंत्रालय ने एक-एक कर पांच स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। खतौली स्टेशन पर नौचंदी एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस और अहमदाबाद मेल का स्टाप रखा गया है।
दूर तक सन्नाटा ही सन्नाटा
ट्रेनों के गुजरने के बाद रेलवे स्टेशन परिसर पर सन्नाटा हो जाता है। लाकडाउन से पहले स्टेशन पर किताबों, अखबार की बिक्री वाले वेंडर रहते थे, लेकिन पिछले दस माह से यात्रियों के अभाव के बीच इनकी आवाज भी गुम हो गई है। स्टेशन की कुर्सियों पर आराम करने के लिए ग्रामीण और लोग ठहरते है, लेकिन यात्री खिड़की पर ताला पड़ा है। स्पेशल ट्रेनों में आरक्षण व्यवस्था लागू है।