जीवन के दौर में नहीं देखे अब जैसे हालात
कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन ने हर वर्ग को प्रभावित कर दिया है। मजबूरी में सभी वर्ग घरों में कैद हैं। देश में कभी भी ऐसे हालात पैदा नहीं हुए जब लोगों को अपनी जान बचाने के लिए खुद घरों में बंद रखने को मजबूर होना पड़ा। इसकी गवाही जानसठ तहसील क्षेत्र के गांव खुजेड़ा निवासी पूर्व शिक्षक रघुबीर सिंह देते हैं।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन ने हर वर्ग को प्रभावित कर दिया है। मजबूरी में सभी वर्ग घरों में कैद हैं। देश में कभी भी ऐसे हालात पैदा नहीं हुए, जब लोगों को अपनी जान बचाने के लिए खुद घरों में बंद रखने को मजबूर होना पड़ा। इसकी गवाही जानसठ तहसील क्षेत्र के गांव खुजेड़ा निवासी पूर्व शिक्षक रघुबीर सिंह देते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने आठ दशक में अब तक ऐसे हालात नहीं देखे, जो इस समय चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद से वें खुद को पूर्ण रूप से स्वतंत्र महसूस करते आए हैं, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है। पुलिस का डर तो बिलकुल भी नहीं है। ऐसे में खुद की जान और परिवार के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए बाहर निकलने से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। परिजनों को भी बाहर जाने से लगातार रोक रहे है। मास्टर रघुबीर सिंह बताते हैं कि उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक हो चुकी है, लेकिन आज तक उन्होंने देश में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा कि लोग किसी बीमारी के फैलने से अपने व्यापार और कामकाज को छोड़कर घर पर लंबे समय बैठने को मजबूर हुए। जीवन के सफर में कई बार कर्फ्यू भी देखा है। खुद को घरों में कैद करने वाली स्थिति से पहली बार सामना हो रहा है। पुलिस की सख्ती वाले कर्फ्यू में गांव और शहरी क्षेत्रों में लोग अपने मोहल्लों में बैठकर समय व्यतीत कर लेते थे, लेकिन अब तो पास बैठने से भी डर लगता है। कोरोना वायरस के भागने का सभी इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद कर रहे हैं कि देश फिर पहले वाली स्थिति में लौटे आए।