मुसीबत बनी जल निकासी, अफसर मौन
वार्डो के साथ मुख्य नालों का सिस्टम चौपट। मामूली बारिश में जलमग्न होता है पूरा शहर।
मुजफ्फरनगर : नगर में जल निकासी मुसीबत बनी है। आबादी बढ़ने के कारण नाले संकरे हो गए हैं। अधिक मात्रा में पानी बहने के साथ जगह-जगह चोक पड़े हैं। ऐसे में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह चौपट है। पानी सही ढंग से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक नहीं पहुंच रहा।
नगर क्षेत्र की आबादी चार लाख से अधिक है। इस आबादी के दूषित जल को काली-¨हडन नदी में छोड़ने के लिए शहर में नालों का जाल बिछा है। 50 वार्डो में 99 नाले हैं। इनमें 40 नाले ऐसे हैं, जो नगर क्षेत्र में 30 किलोमीटर तक बह रहे हैं, जबकि 49 नाले लगभग 20 किलोमीटर तक बहते हैं। हालात इतने खराब हैं कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचाने में पालिका प्रशासन पूरी तरह से फेल है। नाले सफाई के बाद भी कूड़े से चोक हैं। जिनमें पानी रुकता है और यह जलभराव का मुख्य कारण बन रहा है। कई कालोनियों के साथ बाजार में यह समस्या आम हो गई है।
नालों की चौड़ाई बढ़ने से बनेगी बात
मौजूदा परिस्थितियों को देखा जाए तो नाले संकरे हैं। इनमें अत्यधिक पानी का प्रेशर रहता है। ऐसे में नालों की चौड़ाई बढ़ना जरूरी है। इसके साथ ही नालों में जल निकासी की रफ्तार बढ़ाने के लिए निरंतर सफाई होनी आवश्यक है। तभी जल निकासी व्यवस्था पटरी पर आ सकती है। वार्डो में भी नालियों में प्लास्टिक कचरा रोकना होगा।
नियमित सफाई हो तो बने बात
नगर पालिका प्रत्येक वर्ष बरसात से पहले नालों की सफाई को लेकर अभियान चलाता है। इसका बजट भी अच्छा खासा होता है, लेकिन सफाई अभियान खानापूरी के लिए ही चलता है। नालों का सिल्ट यदि पूरी तरह से साफ हो जाए तो बरसात के पानी के ओवरफ्लो होने की आशंका कम हो सकती है। नगर पालिका ने इस वर्ष भी बरसात से पहले नालों की सफाई का अभियान चलाया था। बीते दिनों हुई बारिश में अभियान की पोल खुल गई। लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इन्होंने कहा..
जल निकासी के लिए नालों की सफाई लगातार कराई जाती है। कहीं-कहीं दिक्कते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में नालों का चौड़ीकरण जरुरी है, तभी सीवरेज प्लांट तक सही रूप से दूषित जल पहुंचाया जा सकता है।
-डा. आरएस राठी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर पालिका मुजफ्फरनगर।