अधिवक्ता की खोज में खुद भी जुटा था हत्यारोपित
अधिवक्ता के मुख्य हत्यारोपित ने मृतक के परिजनों के साथ-साथ पुलिस को भी खूब गुमराह किया था।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। अधिवक्ता के मुख्य हत्यारोपित ने मृतक के परिजनों के साथ-साथ पुलिस को भी खूब गुमराह किया था। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद अधिवक्ता की खोज में वह स्वयं भी जुटा था। परिजनों को गुमराह करते हुए पुलिस के साथ अधिवक्ता को ढूंढने के लिए मुख्य हत्यारोपित दिल्ली के शाहीन बाग ले गया था। जहां पुलिस ने अधिवक्ता के दोस्तों से बात की थी। पूछताछ कर पुलिस व हत्यारोपित वापस लौट आए थे।
अधिवक्ता हत्याकांड के खुलने व मुख्य हत्यारोपितों के जेल जाने के बाद गुमशुदगी से लेकर शव बरामदगी तक की पुलिस कार्रवाई से पर्दा उठना शुरू हो गया है। 15 अक्टूबर की शाम को अधिवक्ता समीर सैफी के गायब होने के बाद से परिजनों में बेचैनी शुरू हो गई थी। अधिवक्ता के भाई दानिश ने बताया कि 15 अक्टूबर को करीब 6.30 बजे शालू उर्फ अरबाज उनके घर आया था और उसने इशारे से समीर सैफी को यह कहते हुए बुलाया था कि वह बुला रहे हैं। उसके इशारे को घर पर मौजूद उसकी अम्मी ने भी देखा था। उसके बाद अधिवक्ता समीर सैफी शालू के साथ घर से निकलकर चले गए थे और फिर कभी नहीं लौटे। दानिश ने बताया कि उन्होंने पुलिस को अधिवक्ता की गुमशुदगी दर्ज कराते हुए यह सब जानकारी दी थी। जिसके उपरांत घर से कुछ दूरी पर राज मार्केट में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी समीर सैफी को शालू के साथ जाते देखा गया था। जिसके उपरांत पुलिस ने शालू सहित सिगोल को भी पूछताछ के लिए उठा लिया था, लेकिन इससे पूर्व सिगोल पुलिस व परिजनों को गुमराह करता रहा था। पुलिस ने सिगोल व शालू से पूछताछ की थी, लेकिन उसके उपरांत किसी कथित नेता की मध्यस्थता पर उन्हें छोड़ दिया गया था। अधिवक्ता के परिजन यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर पुलिस ने मुख्य आरोपितों से उसी समय सख्ती से पूछताछ क्यों नहीं की थी? हालांकि बाद में पुलिस पूछताछ के दौरान सिगोल व शालू तथा सोनू आदि ने अपना अपराध कबूलते हुए पुलिस को अधिवक्ता का शव भी बरामद करा दिया था।