मैन पावर है नहीं, तीसरी आंख पर भरोसा
मुजफ्फरनगर: सूबे की चर्चित जेल में शुमार जिला कारागार की सुरक्षा तीसरी आंख के भरोसे है।
मुजफ्फरनगर: सूबे की चर्चित जेल में शुमार जिला कारागार की सुरक्षा तीसरी आंख के भरोसे है। अफसरों का खुद से ज्यादा कैमरों पर विश्वास टिका है। क्षमता से तीन गुना बंदी हैं, जबकि 300 बंदियों के अनुपात में एक बंदीरक्षक तैनात है।
13.22 एकड़ में फैली जेल में 25 बैरक हैं, प्रत्येक बैरक में वजूद से ज्यादा कैदी रखे गए हैं। आए दिन बंदियों के बीच गैंगवार सामने आता है। मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद अफसरों को भी पसीने छूट रहे हैं। आला अफसरों ने यहां बंद कुख्यातों, गुर्गो के अलावा मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। कुछ शातिर अपराधी ऐसे हैं, जो यहां से दूरस्थ जेलों में ट्रांसफर हो चुके हैं, लेकिन जरायम की दुनिया में रहने के लिए इसी कारागार में आने की कोशिश में जुटे हैं। जेल की सुरक्षा यहां लगे 12 कैमरों के भरोसे हैं। जेल में बंदियों से मुलाकात को आने वाले लोगों की तलाशी की व्यवस्था भी लचर है। एक दिन में 500 से अधिक मुलाकाती पहुंचते हैं। ऐसे में प्रति व्यक्ति की जांच में केवल आधा मिनट लगाया जाता है। ऐसे में यह भी सुरक्षा से खिलवाड़ के बराबर है। फोर्स की कमी पर एक नजर:
पद तैनात कमी
डिप्टी जेलर 2 2
जेल वार्डन 54 36
हेड वार्डन 17 11
महिला वार्डन 00 08
हेड वार्डन (महिला) 01 01
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जेल की मौजूदा स्थिति
क्षमता--870
वर्तमान में बंद--2363
आहतों की संख्या-14
बैरक---25
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कैदी (पुरुष) कैदी (महिला) अल्पव्यस्क
330 15 00
विचाराधीन बंदी
1887 53 64 -एनएसए वाले 12 कैदी
-महिला के साथ 11 बच्चे
-2 विदेशी बंदी
-2 मृत्युदंड अपराधी
-23 प्रशासनिक बंदी
इन्होंने कहा..
जिला कारागार की कड़ी सुरक्षा रहती है। बंदियों पर नजर रखने में स्टाफ रोड़ा बना हुआ है। जिला जेल में बंदियों की संख्या अधिक है। हालांकि हर परिस्थितियों पर नजर रखने की पूरी कोशिश की जा रही है।
-एके सक्सेना, जेल अधीक्षक, जिला कारागार मुजफ्फरनगर।