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इंसाफ व सच्चाई के लिए कुर्बान हो गए इमाम हुसैन

बघरा में बाबुल हवाईज दरगाह पहुंचे स्वामी नारंग। दरगाह पर हजरत अब्बास व इमाम को याद किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 11:41 PM (IST)
इंसाफ व सच्चाई के लिए कुर्बान हो गए इमाम हुसैन
इंसाफ व सच्चाई के लिए कुर्बान हो गए इमाम हुसैन

मुजफ्फरनगर : बघरा की बाबुल हवाईज दरगाह पर मोहर्रम पर मजलिस की गई। मौलाना कल्बे रुशेद साहब ने हजरत अब्बास की जिंदगी से जुड़े वाकये को बयां किया। उन्होंने कहा कि जब भी वफादारी की बात सामने आती है तो सबसे पहले नाम हजरत अब्बास का आता है। वफादारी का दूसरा नाम अब्बास है। मजलिस में पहुंचे स्वामी नारंग ने दरगाह पर जियारत की।

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मोहर्रम को लेकर मजलिस व दुआएं की जा रही हैं। घरों में महिलाओं की मजलिस लगी है। शिया समुदाय सोगवार हो गया है। बुधवार को बघरा स्थित बाबुल हवाईज पर हजरत अब्बास की याद में मजलिस होने के साथ अलम मुबारक बरामद किया गया। दिल्ली से आए मेहमान स्वामी सारंग, इमाम उमेर अहमद इल्यासी, मौलाना मुफ्ती जुल्फिकार अली ने पहुंचकर विचार रखे। मौलाना कल्बे रुशेद साहब ने फरमाया कि वफादारी का दूसरा नाम अब्बास है। इंसाफ व सच्चाई को जिंदा रखने के लिए फौजों या हथियारों की जरुरत नहीं होती है। कुर्बानियां देकर भी जीत हासिल की जा सकती है, जैसे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में किया। वहीं, स्वामी नारंग ने दरगाह की जियारत कर कहा कि भाई हो तो हजरत अब्बास जैसा हो। अपनी जिंदगी को ऐसा बनाओ जैसा मौला अब्बास ने बनाया। मौलाना उमेर ने फरमाया अगर हुसैन अपनी सांसारिक इच्छाओं के लिए लड़े थे तो उन्होंने अपनी बहन, पत्नी और बच्चों को कर्बला में साथ क्यों लिया। हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया। इस दौरान अली अब्बास पापन, •ाुल्फिकार छम्मन, असीम अब्बास जीशान अली, पूर्व मंत्री शबाब जैदी व इमरान अली मौजूद थे।


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