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माताओं ने मांगी पुत्रों की दीर्घायु की मन्नत..रखा उपवास

सोमवार को यहां अहोई अष्टमी श्रद्धा के साथ मनाई गई। माताओं ने अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा । शाम को अहोई की पूजा अर्चना कर व्रत खोला गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 07:22 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 07:22 PM (IST)
माताओं ने मांगी पुत्रों की दीर्घायु की मन्नत..रखा उपवास
माताओं ने मांगी पुत्रों की दीर्घायु की मन्नत..रखा उपवास

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। खतौली में सोमवार को यहां अहोई अष्टमी श्रद्धा के साथ मनाई गई। माताओं ने अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा। शाम को अहोई की पूजा-अर्चना कर व्रत खोला गया। घरों में परिवार के लिए खास पकवान बनाए। सर्राफा की दुकानों पर साऊ चांदी की मालाओं की खासी बिक्री हुई।

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बाजारों में खरीदारों के चलते रौनक रही। सुहागिनी महिलाओं के लिए पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत महत्व रखता है। वहीं पुत्रों की सलामती के लिए अहोई अष्टमी का व्रत भी महत्व रखता है। यह पर्व करवाचौथ के बाद और दीपावली से पहले मनाया जाता है। इस पर्व पर महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखती है। सुबह स्नान कर उपवास रखा जाता है। आसपड़ोस की महिलाओं के संग अहोई की कहानी सुनी जाती है। सोमवार को यहां माताओं ने अहोई अष्टमी की व्रत रखा। महिलाओं ने बाजार से अपने पुत्रों के लिए साऊ चांदी की माला, करवां व अहोई के कैलेंडर की खरीदारी की। इस पर्व पर बाजारों में रौनक रही। शाम को अहोई की पूजा अर्चना कर व्रत खोला गया।

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वृद्धा आश्रम में भी

छलका वात्सल्य

खतौली: मां का वात्सल्स ही एकमात्र ऐसा संबंध है, जो बदले में किसी चीज की अपेक्षा नहीं करता। मां का वात्सल्य निष्काम प्रेम की सबसे उत्कृष्ट उदाहरण हैं, लेकिन कुछ बेटे वृद्ध मां का तिरस्कार कर रहे हैं। उसके बाद भी मां की ममता बेटों के प्रति कम नहीं होती है। यहां दयालपुरम स्थित आवासीय वृद्धा आश्रम में अहोई अष्टमी के त्येाहार पर मां का वात्सल्य दिखाई दिया। कई मां वृद्धा आश्रम में रहने को मजबूर हैं और अपनों से दूर एकांतवास जीवन व्यतीत कर रही है। तिरस्कार के बावजूद उनके दिल में पुत्रों के प्रति अथाह प्रेम है। सोमवार को उन्होंने पुत्रों की दीर्घायु के लिए व्रत रखा और उनकी लंबी आयु व सुख समृद्धि की कामना की। बुढ़ाना निवासी ऊषा ने बताया कि उसके पुत्र ने उसका तिरस्कार कर निकाला दिया। जिससे उसे वृद्धा आश्रम में रहना पड़ रहा है। ऊषा का कहना है कि भले ही पुत्रों ने उसे घर से निकाल दिया, पर पुत्रों का कभी बुरा नहीं सोच सकती। पुत्रों की लंबी आयु के लिए उसने अहोई अष्टमी का व्रत रखा। वार्डन रेखा सिंह का कहना है कि वृद्धा आश्रम में वृद्ध महिलाएं रहती है। महिलाओं को यहां घर जैसा वातावरण मिलता है। वृद्धा आश्रम में निवास करने वाली महिलाएं सभी त्योहार श्रद्धा से मनाती है। आवासीय वृद्धा आश्रम के कर्मचारी उनका सहयोग करते हैं।


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