मुजफफरनगर में 70 लोगों की जान जाने के बाद मस्जिद और मदरसा हटाए गए
जिला मुजफ्फरनगर। सात साल में 70 लोगों की मौत। मौत का कारण हटाने में बाधा एक मस्जिद और मदरसा। हटे तो पुल निर्माण हो जाए। आखिर प्रशासन ने आज मस्जिद व मदरसा हटा दिया।
मुजफ्फरनगर (जेएनएन)। सात साल में 70 से अधिक परिवारों के घरों के चिराग बुझ़ाने वाले खूनी संधावली पुल पर शुक्रवार से निर्माण कार्य शुरू हो गया। गुरुवार को यहां से मस्जिद व मदरसे को पुलिस-प्रशासनिक व सांसद समेत मुस्लिम समुदाय के गणमान्य लोगों की मौजूदगी में हटा दिया गया। इसके लिए प्रशासन की ओर से मदरसे के खाते में 49 लाख की रकम डाल दी गई है जिससे मस्जिद व मदरसा दूसरे स्थान पर बनाए जा सकें। उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर में नेशनल हाइवे 58 पर संधावली गांव के पास रेललाइन के ऊपर पुल अधूरा पड़ा हुआ था। पुल के निर्माण के वक्त उसके नीचे मस्जिद व मदरसा आ जाने के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुल का विरोध किया था।
बहुत दिन तक हुआ हटाने का विरोध
दरअसल, मेरठ से देहरादून की ओर जाने वाला हिस्सा तो पूरा था मगर देहरादून से मेरठ की तरफ जाते समय रेलवे लाइन के ऊपर एक ही हिस्से से गुजरना पड़ता था। ऐसे में तेज रफ्तार से आने वाले वाहन एकाएक अपना नियंत्रण खो बैठते थे। जिसके चलते यहां पर हादसे हो जाते थे। वर्ष 2010 से अब 70 मौत इस खूनी पुल पर हो चुकी थी। इसको लेकर मुजफ्फरनगर सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी को भी इस पुल के बारे में यहां पर लाकर दिखाया था। नितिन गड़करी ने प्रदेश की अखिलेश सरकार को पत्र भी लिखे थे, मगर कोई फायदा नहीं हो सका। उस समय विरोध में देवबंद के उलमा भी आ गए थे कि मस्जिद व मदरसे को हटाया नहीं जाएगा।
सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में ध्वस्तीकरण
जिले के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी व मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग संधावली एक दिन पहले ही फाटक के पास पहुंचे और सहमति से मस्जिद व मजार को तोड़कर वहां से हटा दिया गया। सांसद संजीव बालियान का कहना है कि सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण में मस्जिद व मदरसे को हटवाया गया है। तहसीलदार सदर रंजीत सिंह ने बताया कि पुल बनाने के लिए आपसी सहमति से मस्जिद व मदरसा प्रबंधकों द्वारा मुआवजा प्राप्त करने के बाद सौहार्दपूर्ण वातावरण में मस्जिद और मदरसे को हटवाकर जनसामान्य के लिए जनहित में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण मं सहयोग किया है।