राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने पूजा अर्चना कर किया 8 दिवसीय मेले का शुभारंभ Muzaffarnagar News
राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने शनिवार को मीरापुर में महाभारत कालीन शीतला माता बबरे वाली के मंदिर में लगने वाले 8 दिवसीय मेले का शुभारंभ किया।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। मीरापुर कस्बे के प्राचीन शीतला माता बबरे वाली के मंदिर में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने शनिवार को पूजा अर्चना कर 8 दिवसीय मेले का शुभारंभ किया। शुभारंभ से पूर्व ध्वज यात्रा निकाली गई। जिसमें शामिल सैकड़ों श्रद्धालुओं ने नंगे पांव मंदिर पहुंचकर माथा टेका।
ध्वज यात्रा से हुआ शुभारंभ
कस्बे से मात्र 3 किलोमीटर दूर मेरठ-पौड़ी राजमार्ग किनारे स्थित महाभारत कालीन शीतला माता बबरे वाली के मंदिर में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला मेला शनिवार से प्रारंभ हो गया। मंदिर समिति के मंत्री अनिरूद्ध शारदा के आवास से सर्वप्रथम ध्वज यात्रा निकाली गई। बैंड बाजों से सुसज्जित ध्वज यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालू हाथों में ध्वज लेकर माता के जयकारों के साथ नंगे पांव मंदिर पहुंचे तथा मंदिर की गुंबद पर ध्वज की स्थापना की। जिसके बाद मंदिर में पहुंचे राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने माता शीतला के भवन में पहुंचकर विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर 8 दिवसीय मेले का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होने कहा कि यह मंदिर महाभारत कालीन होने के साथ-साथ विख्यात है। जिसके बाद राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने प्रसाद ग्रहण किया।
अर्जुन-चित्रांगदा के पुत्र बबरूवाहन ने की थी मंदिर की स्थापना
मंदिर समिति के मंत्री अनिरूद्ध शारदा ने मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महाभारत के दौरान पांडवों व कौरवों के बीच हुए युद्ध का जब अर्जुन व चित्रांगदा के पुत्र बबरूवाहन (जो अपने नाना चित्रस्थ के यहां पला-बढ़ा था) को युद्ध के विषय में पता चला तो उसने अपनी माता चित्रांगदा से कहा‘हे माता मुझे भी अपने पिता अर्जुन की सहायता के लिए जाना है किंतु मैं उनको किस प्रकार की सहायता दूंगा’। तब चित्रांगदा ने अपने पुत्र को समझा कर भेजा कि बेटा जो पक्ष कमजोर अथवा हारने वाला हो तुम उसका ही साथ देना। किंतु उसको यह मालूम नहीं था कि उस समय बलशाली कौरवों की सेना ही हार रही थी। दूर दृष्टि रखने वाले भगवान श्री कृष्ण ने यहां पर महाबली बबरू वाहन को रोक लिया और शक्ति पूजा करने का आदेश दिया। तब बबरूवाहन ने अपनी कठोर तपस्या कर माता रानी के साक्षात दर्शन किए तथा स्वंय इस मंदिर की स्थापना की थी। तभी से यह मंदिर बबरूवाहन के नाम पर बबरे वाली के नाम से प्रसिद्ध है।