दूध में मिलावट का खेल होगा खत्म
सांसद डा. संजीव बालियान केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह मिलने से जितने खुश हैं उससे कहीं अधिक विभाग मिलने से गदगद हैं। दरअसल वह वेटनरी में पीएचडी हैं जिसका सीधा संबंधित उन्हें मिले पशुपालन डेयरी और मतस्य विभाग से है। डा. बालियान का कहना कि
मुजफ्फरनगर:
सांसद डॉ. संजीव बालियान केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने से जितने खुश हैं, उससे कहीं अधिक विभाग मिलने से गदगद हैं। दरअसल, वह वेटनरी में पीएचडी हैं, जिसका सीधा संबंध उन्हें मिले पशुपालन, डेयरी और मतस्य विभाग से है। डॉ. बालियान का कहना कि हिसार कृषि विश्वविद्यालय से मिले शैक्षणिक और तकनीकि ज्ञान का प्रयोग कर विभागीय योजनाओं को धरातल पर विकसित करेंगे। दूध में मिलावट का खेल खत्म होगा, जिसके बाद फिर से श्वेत धारा बहेगी। इससे पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। 'दैनिक जागरण' से विशेष बातचीत में डॉ. संजीव बालियान ने कई अहम जानकारी दी।
सवाल: आप वेटनरी में एमएससी और पीएचडी हैं, जो विभाग मिले हैं, उनका सीधा संबंध आपकी शिक्षा और डिग्री से है, ऐसे में क्या प्लान तैयार किए हैं। बेसहारा पशुओं की समस्या कैसे दूर होगी?
जवाब: करीब साढ़े चार साल पहले जब मैं केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बना था तो कुछ दिन यूएसए में रहने का अवसर मिला। वहां पशुओं पर रिसर्च चल रहा था। सीमेन टेक्नोलॉजी के माध्यम से बछिया ही पैदा होंगी, यह रिसर्च विदेश में पूरा हो गया है। इस टेक्नोलॉजी को अपने यहां विकसित कराया जाएगा। इससे बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान भी हो जाएगा। हिसार कृषि विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के दौरान पशुओं के उत्थान पर खूब प्रोजेक्ट तैयार किए, उन प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनने का समय आ गया है।
सवाल: किसान समेत पशुपालकों का दुधारू पशु पालने से मोहभंग हो रहा है, जबकि दूध की डिमांड लगातार बढ़ रही है और सप्लाई में भी कमी नहीं है। ऐसे में मिलावटी दूध पर अंकुश कैसे लगेगा?
जवाब: दूध में मिलावट बड़ी समस्या बन चुकी है। अच्छी सेहत और पशुपालन विभाग के उत्थान के लिए दूध में मिलावट को जड़ से खत्म करना होगा। कैबिनेट की पहली बैठक में इस समस्या पर मंथन हुआ है। बड़े पैमाने पर काम होगा। गांव व कस्बों में जहां दूध एकत्र करने के सेंटर हैं, वहां ध्यान दिया जाएगा। दूध में मिलावट न हो, इसके लिए संसाधन विकसित किए जाएंगे। जल्द ही इस तकनीक पर काम होगा, ताकि सभी केंद्रों पर संसाधन पहुंच सकें। मिलावट पर रोक लगने से दुग्ध उत्पादकों को अच्छे दाम मिलेंगे, जिससे किसान फिर से अधिक संख्या में पशु पाल सकेंगे। 10 हजार करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट डेयरी उद्योग के लिए तैयार किया जाएगा।
सवाल: कैबिनेट की पहली बैठक में क्या खास रहा। पांच साल के लिए क्या कोई विशेष प्रस्ताव बनाया गया?
जवाब: कैबिनेट की पहली बैठक में अहम बात यह रही कि जो विभाग मिले हैं, उनके लिए 13.50 हजार करोड़ रुपये सेंशन हो गए हैं। पशुओं की बीमारी पर फोकस रहेगा। मुंहपका, खुरपका बीमारी के टीके केंद्र सरकार की ओर से लगाए जांएगे। अभी तक आवंटित धनराशि में 60 फीसदी हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती थी। पांच साल में पशुओं की गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करना है।
सवाल: मत्स्य पालन को लेकर वेस्ट यूपी में ज्यादा जागरूकता नहीं है, ऐसे में इसे व्यवसायिक रूप से कैसे विकसित करेंगे?
जवाब: वेस्ट यूपी का किसान गन्ने को सर्वाधिक अहमियत देता है, जबकि दूसरे व्यवसाय अपनाकर अधिक कमाई की जा सकती है। मत्स्य पालन से अच्छी कमाई संभव है। इसके लिए किसानों को जागरूक करने का कार्य किया जाएगा। ट्रायल के तौर पर मुजफ्फरनगर में इसे जरूर लागू किया जाएगा। किसानों को मत्स्य पालन की तकनीकी जानकारी देने के साथ ही अनुदान का लाभ दिलाया जाएगा। प्रयास रहेगा कि आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की तर्ज पर इस उद्योग को विकसित किया जाए। पोल्ट्री फार्म में भी अच्छा स्कोप है।
सवाल: जो विभाग आपको आवंटित हुए हैं, उनमें स्टाफ और संसाधनों की कमी है, इस समस्या का कैसे निदान होगा?
जवाब: विभागों में स्टाफ देने का कार्य राज्य सरकार का है। यूपी में ही नहीं देशभर में वेटनरी चिकित्सकों की कमी है। अन्य स्टाफ भी कम है। मुख्यमंत्री से इस बारे में बातचीत की जाएगी।