देहात क्षेत्रों में बुरे हालात के बाद भी नहीं है बंद का असर
जेएनएन मुजफ्फरनगर। कोरोना के हालात गांवों में भले ही बद से बदतर होते जा रहे हो लेकिन वह
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना के हालात गांवों में भले ही बद से बदतर होते जा रहे हो लेकिन वहां के लोगों को इसकी कोई फ्रिक नहीं है। गांवों में दुकाने पूरी तरह से खुली हुई है और आवाजाही भी बेफ्रिक जारी है। पुलिस को इसकी कोई चिता नहीं है।
गांवों में बुखार व कोरोना को लेकर भले ही हाहाकार मचा हो लेकिन गांव के लोग बेफ्रिक होकर अपनी जिदगी आगे बढ़ा रहे है। गांवों में कोरोना कर्फ्यू को लेकर जरा भी चिता नहीं है। पुलिस भी कस्बे में ही गश्त करके अपने काम की इतिश्री कर लेती है जबकि गांवों में हालात बहुत खराब होते जा रहे है। गांव के लोगों के चेहरे से मास्क तो गायब है ही साथ ही शरीरिक दूरी की भी कोई चिता नहीं है। गांवों में दुकानों पर जमघट देखा जाना कोई नई बात नहीं है। दुकानदार बिना मास्क के ही सारा दिन सामान बेच रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पुलिस की कोई गश्त न होने के कारण लोग कोरोना कर्फ्यू का भी पालन नहीं कर रहे है। जबकि कई गांवों में प्रतिदिन बुखार के चलते मौत हो रही है। गांव तिसंग, गढी मेहलकी, आदि गांवों में बुखार के कारण बुरे हालात बने हुए है। लेकिन लोग मान ही नहीं रहे है। इंस्पेक्टर डीके त्यागी ने बताया कि गांवों में दुकान खोलने वाले लोगों को चिन्हित किया जा रहा है शीघ्र ही उनके खिलाफ मुकदमा लिखा जाएगा।
लाकडाउन में सुधर रहा प्रदूषण, सुहानी हो गई आबोहवा
जेएनएन, मुजफ्फरनगर : लाकडाउन से जहां कामकाज बंद होने से लोगों की आर्थिक स्थिति खराब होने की चिता हर किसी को है। वहीं प्रदूषण का ग्राफ उम्मीद से नीचे तक आने से सुधर रही आबोहवा राहत की सांस भी देती है। सामान्य दिनों में बहुत अधिक खराब स्थिति में पहुंचा प्रदूषण का ग्राफ इन दिनों काफी नीचे गिर आया है, जो अब संतुलित स्थिति में आकर स्वस्थ्य के लिए लाभकारी माना जाने लगा है। प्रदूषण का ग्राफ गिरने से मौसम में भी परिवर्तण देखने को मिला है, जो शाम होते ही ठंडी हवा का अहसास कराता है।
एनसीआर में शामिल मुजफ्फरनगर में औद्योगिक इकाईयों और वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण आबोहवा को जहरीला बना चुका था। जनपद में एक समय ऐसा भी आ गया था, जहां प्रदूषण का ग्राफ बहुत खराब स्थिति में पहुंचा गया था। यहीं कारण है कि दीपावली पर पटाखों की आतिशबाजी से पहले ही क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कई औद्योगिक इकाईयों पर कार्रवाई कर मोटा जुर्माना लगा पड़ा, लेकिन गत वर्ष लाकडाउन में हालत सुधरे दिखाई दिए थे, जो फिर से दीपावली पर खराब हो गए थे। शहरी क्षेत्र के नई मंडी और तहसील पर प्रदूषण जांच के लिए लगी मशीनों में दर्ज किया गया एयर क्वालीटी इंडेक्स (एक्यूआई) 350 तक पहुंच गया था, जो हवा में प्रदूषण के कण बढ़ने पर स्वास्थ्य की समस्या पैदा करने के संकेत देकर चिता बढ़ाता है। अप्रैल में लाकडाउन लगने के बाद वाहनों की आवाजाही और औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुंआ कम होने पर जनपद को राहत मिलनी शुरू हो गई है। मई महीने में एक्यूआई 98 तक पहुंच गया था, जो संतुष्ट वाली श्रेणी को दर्शाता है, हालाकि कि 98 केवल शुक्रवार यानी ईद के दिन दर्ज हुआ है। इसके अलावा 100 से 150 के बीच हिलोरे ले रहा है, जो संतुलित श्रेणी में रूकने पर संतुष्ट करता है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जेई विपुल कुमार ने बताया कि मई में प्रदूषण का ग्राफ काफी घटा है, जिसका कारण लाकडाउन है।
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प्रदूषण घटने से हवा हुई बेहतर
लाकडाउन में प्रदूषण घटने से हवा में प्रदूषण के कणों की मिलावट बहुत कम हो गई है। उधर इस वक्त शाम के समय मौसम सुहाना होने के साथ हवा भी ठंडी हो रही है। चिकित्सकों की माने तो इस समय सुबह और शाम को हवा लेने से भी लोगों को अधिक लाभ मिल रहा है, लेकिन कोरोना के कारण भीड़ वाले स्थान पर मास्क हटाकर हवा को महसूस करने की गतली न करें। तभी हवा का आंनद ले, जब मनुष्य बिलकुल अकेला हो, जहां मास्क हटाकर आधे घंटे तक हवा ले सके।
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मई में प्रदूषण का ग्राफ
दिनांक एक्यूआई
1 मई 334
2 मई 205
3 मई दर्ज नहीं हुआ
4 मई 189
5 मई 163
6 मई 169
7 मई 112
8 मई 124
9 मई 140
10 मई 134
11 मई 134
12 मई 133
13 मई 103
14 मई 98
15 मई 132