सरताज हत्याकांड में साले-बहनोई को उम्रकैद
दो वर्ष पूर्व खतौली के एक दर्जी से लाटरी के दो लाख रुपये लूटकर उसकी हत्या करने वाले दो दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों आरोपित आपस में साले-बहनोई हैं। दोनों पर 57-57 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। दो वर्ष पूर्व खतौली के एक दर्जी से लाटरी के दो लाख रुपये लूटकर उसकी हत्या करने वाले दो दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों आरोपित आपस में साले-बहनोई हैं। दोनों पर 57-57 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।
22 दिसंबर 2018 को खतौली से कुछ दूर भैंसी स्थित एक ईंट भट्ठे से एक शव बरामद हुआ था, जिसकी पहचान खतौली के मोहल्ला मिट्ठूलाल निवासी दर्जी सरताज पुत्र अली मोहम्मद के रूप में हुई थी। मृतक के भाई शहजाद ने खतौली थाने में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि 21 दिसंबर 2018 को सरताज के मोबाइल पर फोन आया था, जिसको सुनकर सरताज कहीं चला गया था। अगले दिन सुबह नौ बजे भैंसी स्थित एक ईट भट्ठे पर सिर में दो गोलियां लगा सरताज का शव बरामद हुआ था। पुलिस ने इस मामले में छानबीन करते हुए सरताज के दोस्त आशु उर्फ आस मोहम्मद पुत्र जहीर निवासी मोहल्ला मिट्ठूलाल तथा उसके बहनोई मो. अकरम पुत्र उस्मान निवासी मोहल्ला इस्लाम नगर खतौली को गिरफ्तार कर हत्याकांड का राजफाश किया था। पुलिस के अनुसार आशु उर्फ आस मोहम्मद ने अपने बहनाई मो. अकरम के साथ योजनाबद्ध तरीके से सरताज को फोन कर बहाने से बुलवाया था। जैसे ही सरताज दुकान से चला तो आशु उसके पीछे हो लिया था और भैंसी ईट भट्ठे पर उससे दो लाख रुपये लूटकर अकरम ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने आशु उर्फ आस मोहम्मद से लूटी गई रकम से 97 हजार रुपये तथा अकरम से आला-ए-कत्ल 315 बोर का तमंचा बरामद किया था। घटना के मुकदमे की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव शर्मा के समक्ष हुई। वादी की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ठा. दुष्यंत सिंह ने बताया कि सुनवाई पूरी कर जिला जज ने दोनों आरोपितों आशु उर्फ आस मोहम्मद व मो. अकरम को सरताज की हत्या व लूट आदि में दोषी मानते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई तथा 57-57 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव शर्मा व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेश शर्मा ने बताया कि अभियोजन ने इस मामले में 17 गवाह पेश किए।
हत्याकांड के बाद से जेल में थे हत्यारे
वादी के अधिवक्ता ठा. दुष्यंत सिंह ने बताया कि हत्याकांड के बाद से ही दोनों हत्यारे जेल में थे। हाईकोर्ट से आशु उर्फ आस मोहम्मद को जमानत मिल गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आशु की जमानत खारिज कर 24 जुलाई 2019 को छह माह के भीतर केस के निस्तारण का आदेश दिया था। हालांकि जिला जज के स्थानांतरण व लॉकडाउन के चलते निर्णय में थोड़ा विलंब हुआ।