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LokSabha Election 2019 : मुजफ्फरनगर में जाट वोटों को लेकर होगी जमकर खींचतान

मुजफ्फरनगर में इस बार भी जाट वोटर का रुख ही जीत की लकीर को खींचेगा। जाट वोटों को लेकर जमकर खींचतान रहेगी। यहां पर 2014 में भाजपा के संजीव बालियान ने जीत दर्ज की थी।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 01:01 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 01:01 PM (IST)
LokSabha Election 2019 : मुजफ्फरनगर में जाट वोटों को लेकर होगी जमकर खींचतान
LokSabha Election 2019 : मुजफ्फरनगर में जाट वोटों को लेकर होगी जमकर खींचतान
मुजफ्फरनगर, [कपिल कुमार]। लोकसभा चुनाव में जाट वोटों को लेकर खींचतान मचेगी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दंगे के बाद हुए ध्रुवीकरण और मोदी लहर में जाट बिरादरी ने एकतरफा भाजपा को वोट दिया था। यही वजह रही कि पहली बार चुनाव लड़े डॉ. संजीव बालियान 4 लाख 1150 मतों के बड़े अंतर से सांसद चुने गए थे। उन्होंने बसपा के कादिर राना को हराया था। बालियान मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए थे।
समीकरण में बिखराव
‘छोटे चौधरी’ का जाट-मुस्लिम समीकरण मुजफ्फरनगर दंगे में बिखर गया था। कवाल कांड के बाद हुई हिंसा में 65 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। दोनों समुदायों के बीच गहरी खाई बन गई। विधानसभा चुनाव में जिले में सभी सीटों पर रालोद प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। हालांकि इस सीट पर वर्तमान में वोटरों की संख्या 16.85 लाख है, जिसमें जाट मतदाता डेढ़ लाख के आसपास हैं। बीते लोकसभा चुनाव में कमल का फूल जाटों की पसंद रहा। इस बार दोनों प्रत्याशी जाट हैं। ऐसे में जाट मतों को लेकर खींचतान होनी तय है।
अजित सिंह की उम्मीदें
सपा और बसपा गठबंधन के चलते मुस्लिमों और दलितों के साथ जाटों के समीकरण को लेकर रालोद अपनी जीत का ताना-बाना बुन रहा है। दंगे को लेकर रालोद के वोट गणित में जो दरार आई थी, उसे पार्टी ने कैराना लोकसभा के उपचुनाव में पूरा करने की कोशिश की। उन्हीं उम्मीदों के साथ अजित सिंह मुजफ्फरनगर का सियासी किला फतह करने की मंशा रखते हैं। जाटों के सामने चुनाव में यह कड़ी परीक्षा होगी कि उन्हें चौधरी अजित सिंह को चुनना है या फिर से डॉ. संजीव बालियान का साथ निभाना है। जिले में जाट बिरादरी में बालियान खाप का बड़ा वजूद है। खाप की चौधराहट सिसौली में चौधरी नरेश टिकैत के जिम्मे है।
राह नहीं है आसान
टिकट पाने के बाद डॉ.बालियान ने भाकियू अध्यक्ष एवं बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत से मुलाकात की। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बालियान खाप के चौरासी गांव आते हैं। वैसे भाकियू अध्यक्ष साफ कर चुके हैं कि उनका संगठन अराजनीतिक है। चुनाव से संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। बुढ़ाना विधानसभा सबसे ज्यादा जाट मतदाताओं की सीट है। यहां से फिलहाल भाजपा के उमेश मलिक विधायक हैं। डॉ. बालियान का गांव कुटबी चरथावल विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। जिले की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा एमएलए हैं। तमाम वजहों से जाट मतों को लेकर गठबंधन और भाजपा प्रत्याशी में खींचतान होगी।
कौन बनेगा जाट राजनीति का चेहरा
आगामी लोकसभा चुनाव यह भी तय करेगा कि जाट राजनीति में कौन चेहरा चमकेगा। भाजपा ने मुजफ्फरनगर, बिजनौर और बागपत में अपने मौजूदा सांसदों को ही प्रत्याशी बनाया है। सभी उम्मीदवार जाट बिरादरी से है। रालोद में जहां चौधरी अजित सिंह अपने बेटे जयंत चौधरी को मजबूत सियासी जमीन देना चाहते हैं,वहीं भाजपा जाट प्रत्याशियों को तवज्जो दे रही है। बागपत की सीट पर चौधरी चरण सिंह और अजित सिंह के बाद तीसरी पीढ़ी की दस्तक है। बागपत से मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एवं केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह और बिजनौर से कुंवर भारतेंद्र सिंह के साथ मुजफ्फरनगर से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान की हार-जीत से तय होगा कि जाट राजनीति का अगला चेहरा कौन होगा? 

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