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ईवान हास्पिटल से मरीजों को वापस कराए 5.58 लाख

मुजफ्फरनगर जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल में मरीजों से निर्धारित से अधिक धन वसूली के म

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 11:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 11:58 PM (IST)
ईवान हास्पिटल से मरीजों को वापस कराए 5.58 लाख
ईवान हास्पिटल से मरीजों को वापस कराए 5.58 लाख

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल में मरीजों से निर्धारित से अधिक धन वसूली के मामले में आई नौ शिकायतों की जांच के बाद ईवान हास्पिटल से पांच मरीजों को 5.58 लाख रुपये वापस कराए जा चुके हैं। ईवान हॉस्पिटल के विरुद्ध आठ मरीजों के स्वजन ने पूर्व में 15 लाख रुपये से ज्यादा रकम लेने की शिकायत की थी। वर्तमान में एक दर्जन शिकायत समिति के समक्ष विचाराधीन हैं।

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कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में जनपद में निजी अस्पतालों ने कोविड मरीजों के उपचार के लिए जमकर लूट मचाई। विरोध पर तीमारदारों को हथियारो से डराया भी गया। उगाही को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन ने मरीजों के उपचार में निर्धारित से अधिक रकम वसूलने के मामलों में जांच करने के लिए समिति गठित करने के आदेश दिये थे। जनपद में भी डीएम ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कर ऐसे मामलों की जांच शुरू कराई। जिसमें एडीएम प्रशासन अमित सिंह के अलावा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के डा. आरके ठकराल को शामिल किया गया।

समिति के समक्ष सर्वप्रथम आठ शिकायत आई। जो भोपा रोड स्थित ईवान हास्पिटल से जुड़ी थी। इन मामलों में समिति ने जांच की तो उसमें शासन से निर्धारित अधिक वसूली की बात साबित हुई। नियमों को ताक पर रख ईवान हास्पिटल ने संक्रमित मरीजों के उपचार के एवज में अधिक धन वसूली की। समिति को इसके पुख्ता सुबूत मिले। शरुआती जांच में शिकायत करने वाले इन आठ मरीजों से 15.29 लाख रुपये से अधिक वसूले जाने की बात समिति ने कही। समिति सदस्य एडीएम प्रशासन अमित सिंह के अनुसार प्रारंभिक स्तर पर की गई जांच में पाया गया था कि ईवान हास्पिटल में उपचार के लिए जिन आठ लोगों के परिजनों द्वारा मानकों से अधिक धनराशि लेने की शिकायत की, इनमें सुरेश से 61 हजार, राजेश से 1.72 लाख, राज लक्ष्मी से 4.50 लाख, अंजली सोम से 50 हजार, प्ररेणा गंभीर से 2.27 लाख, दीपक कुमार से 24 हजार, आकाश गौतम से 2.15 लाख और जरीना से 3.30 लाख रुपये की अधिक वसूली की गई। दस्तावेज के आधार पर विस्तृत जांच में बिलों में गलत गणना पकड़ी गई थी। इनमें कुछ लोग ऐसे भी मिले, जो ज्यादा दिन अस्पताल में भर्ती रहे और बिल में उनके दिन कम दिखाये गए।


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