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लंपी बीमारी से पीड़ित पशु का दुध उबालकर पीएं

लंपी बीमारी से पीड़ित पशु का दुध उबालकर पीएं

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2022 12:13 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2022 12:13 AM (IST)
लंपी बीमारी से पीड़ित पशु का दुध उबालकर पीएं
लंपी बीमारी से पीड़ित पशु का दुध उबालकर पीएं

लंपी बीमारी से पीड़ित पशु का दुध उबालकर पीएं

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मुजफ्फरनगर, जेएनएन। पशुओं में फैली लंपी बीमारी को लेकर किसानों और पशुपालकों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। खासकर संक्रमित पशुओं के दूध और उनके संपर्क को लेकर अफवाहें हैं। इस पर मुख्य पशु चिकित्सक का कहना है कि लंबी से संक्रमित पशुओं के दूध का मनुष्य के लिए कोई नुकसान नहीं है। मनुष्य एतियात के तौर पर उबालकर दूध का प्रयोग करें। साथ ही संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से भी बीमारी का प्रसार नहीं होता है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश कुमार ने बताया कि लंपी एक संक्रामक रोग विषाणुजनित बीमारी है। यह बीमारी गोवंशीय पशुओं में पाई जा रही है। रोग का संचरण पशुओं में मक्खी, चीचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं को बुखार होना, पूरे शरीर में जगह-जगह नोड्यूल का उभरा हुआ दिखाई देना है। बीमारी से ग्रसित पशुओं मृत्यु दर अनुमानित एक से पांच प्रतिशत है। बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखा जाए। पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात पशुओं को मक्खी, चीचडी, मच्छरों के काटने से बचाना, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा पशुस्थल पर चूने का प्रयोग करना चाहिए। मृत पशुओं के शव को गहरे अर्थात न्यूनतम पांच-छह फीट गहरे गड्ढे में दबाया जाना जरूरी है। पशु पालकों से अपील है कि बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशु से अलग बांधे। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को यह भी जागरूक किया जा रहा है कि बीमार पशु के दूध को उबालकर पीने या बीमार पशु के संपर्क में आने से मनुष्य में फैलने की कोई आशंका नहीं है। अवांच्छित अफवाओं से खुद को बचाए। जनपद के किसी भी क्षेत्र से कोई ऐसी सूचना नहीं मिली कि लंबी से पीड़ित पशु का दूध का प्रयोग बंद किया हो। संक्रमित गोवंश के दूध को उबलने के बाद पूर्ण रूप से पीने योग्य शुद्ध है। चार और गोवंश की लंपी बीमारी से मौत मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि जनपद के 16 ग्रामों में लंबी बीमारी से पीड़ित 89 और पशु चिह्नित किए गए हैं। पूर्व से बीमारी पशुओं में से 536 स्वस्थ हो गए हैं। गुरुवार को चार गोवंश की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। अब जिले में 2040 गोवंश बीमारी से पीड़ित हैं।


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