अधिवक्ता की हत्या में चार गिरफ्तार
पांच दिन पूर्व घर से लापता हुए अधिवक्ता का अपहरण कर हत्या करने के आरोप में पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर रविवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। अधिवक्ता का अपहरण कर हत्या करने के आरोप में पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर रविवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। पुलिस ने आरोपितों की निशानदेही पर आला-ए-कत्ल नायलान की रस्सी, फावड़ा तथा हत्या में प्रयुक्त की गई स्विफ्ट डिजायर कार भी बरामद कर ली।
15 अक्टूबर को अधिवक्ता समीर सैफी के घर से लापता होने के बाद शहर कोतवाली में उनकी गुमशुदगी दर्ज की गई थी। शनिवार शाम पुलिस ने अधिवक्ता के दोस्त सिगोल अलवी पुत्र मुत्तकी निवासी गढ़ी गोरवान से सख्ती से पूछताछ की तो उसने हत्या की बात कबूल करते हुए हत्याकांड में शामिल अन्य लोगों के नाम बता दिए। पुलिस ने सिंगोल के साथी बकरा मार्केट गढ़ी गोरवान निवासियों शालू उर्फ अरबाज पुत्र मशकूर व उसके ड्राइवर सोनू उर्फ रिजवान पुत्र अजहर तथा शव को ठिकाने लगाने के लिए गड्ढा खोदने वाले सिगोल के पोल्ट्री फार्म के नौकर दिनेश पुत्र कमल निवासी गांव सीकरी को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने चारों आरोपितों का रविवार को चालान कर दिया। शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनिल कपरवान ने बताया कि अधिवक्ता के पिता की तहरीर पर पहले अपहरण के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। अब इसे हत्या की धाराओं में तरमीम कर दिया गया।
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चार फीट गहरे गड्ढे में दबा मिला शव
वारदात की गुत्थी सुलझने के बाद पुलिस ने आरोपितों की निशानदेही पर भोपा थाना क्षेत्र के गांव सीकरी के जंगल में गड्ढे में दबाए गए शव को बरामद कर लिया। शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि शनिवार रात में ही भोपा थाना पुलिस की मदद से चांद मियां व मियां अनवार के खेत के बीच स्थित जंगल में गड्ढा खोदकर गाड़े गए अधिवक्ता समीर के शव को बरामद किया। शव के साथ ही आला-ए-कत्ल दबाया गया था। हत्या चलती कार में गला घोटकर की गई थी। हत्या के पीछे पैसों का मोटा लेनदेन सामने आया है।
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सीए की नामजदगी को था पुलिस पर दबाव
समीर की हत्या का राजफाश होने के बाद अधिवक्ताओं ने शहर कोतवाली में धरना देकर हंगामा किया था। अधिवक्ताओं ने पुलिस पर मामले को हल्के में लेने का आरोप लगाया था, जिस पर एसएसपी ने रात में ही मौके पर पहुंचकर उन्हें आश्वस्त किया था। इसी दौरान अधिवक्ता के परिजनों ने उसके एक दोस्त व सीए पर भी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। एसएसपी ने जांच के बाद ही इस मामले में कोई कदम उठाने की बात कही थी। काफी हंगामे के बावजूद पुलिस ने सीए की नामजदगी को उचित नहीं माना था।