पिता ने पाई थी शहादत, बेटा भी बना सेना की शान
शहीद वचन सिंह की पत्नी ने बेटे को बनाया लेफ्टिनेंट। छोटे बेटे को भी सेना में भेजने की ख्वाहिशमंद है मां।
मुजफ्फरनरगर(कपिल कुमार) : भारतीय वायुसेना की पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पर युद्ध जैसे हालात हैं। पूरा मुल्क देशभक्ति के जज्बे से सराबोर है। वीर सपूतों के शौर्य और बलिदान से जिले की मिट्टी भी गौरवान्वित है। भारत मां की सेवा का जुनून ऐसा है कि एक मां ने कारगिल युद्ध में पति की शहादत के बावजूद बेटे को सेना में भेज दिया। बेटा उसी रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट है, जिसमें रहते हुए पिता शहीद हुए थे। कारगिल युद्ध में पाई थी शहादत
सदर ब्लॉक के पचेंडा कलां गांव निवासी वचन सिंह राजपूताना राइफल्स रेजीमेंट की दूसरी बटालियन में तैनात थे। 12 जून 1999 को कारगिल युद्ध में लड़ते हुए वह तोलोलिग की चोटी पर शहीद हो गए थे। उस वक्त उनका बड़ा बेटा हितेश कुमार महज छह साल का था। पति को युद्ध में खोने के बावजूद मुश्किल हालातों से जूझती पत्नी कामेश बाला हिम्मत हारने के बजाय बेटे को सेना में भेजने की ठान ली। शुरू से दिया सैन्य माहौल
हिमाचल प्रदेश के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चहल में हितेश का कक्षा छह में दाखिला कराया, ताकि वह सैन्य माहौल में पले-बढ़े। 12वीं के बाद हितेश ने श्रीराम कालेज आफ कामर्स, दिल्ली से बीकॉम आनर्स किया। पिता की शहादत उसे बार-बार सेना में जाने को प्रेरित करती थी। मां कामेश बाला ने भी लगातार प्रोत्साहित किया। रंग लाई मेहनत
हितेश की मेहनत रंग लाई और उन्होंने एनडीए की परीक्षा पास की। वर्ष 2018 में वह भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से लेफ्टिनेंट बनकर मां के पास लौटे। शहीद वचन सिंह का परिवार शहर की आदर्श कालोनी में रहता है। बेटा फिलहाल राजस्थान में राजपूताना राइफल्स में लेफ्टिनेंट है। मां कामेश बाला कहती हैं कि पति की शहादत के वक्त ही उन्होंने तय कर लिया था कि बेटों को सेना में ही भेजेंगी, ताकि भारत मां की सेवा कर सकें। छोटा बेटा हेमंत भी सेना भर्ती की तैयारी में जुटा है। मुश्किल थे हालात, फिर भी जीती जंग
कारगिल युद्ध में राजपूताना राइफल्स में शहीद वचन सिंह के साथी रहे रिटायर्ड लांस नायक ऋषिपाल सिंह आज भी तोलोलिग की चोटी पर भारतीय सेना के पराक्रम को नहीं भूले हैं। कहते हैं कि देहरादून के मेजर विवेक गुप्ता के नेतृत्व में हमारी बटालियन तोलोलिग पर चढ़ाई कर पाक से जंग लड़ रही थी। दुश्मन के ऊंचाई पर होने के कारण परिस्थितियां बेहद कठिन थीं। मेजर सहित देश के 17 जवान लड़ते हुए शहीद हो गए। लांस नायक वचन सिंह के सिर में गोली लगी थी। भारतीय फौज ने तोलोलिग को जीतकर कारगिल युद्ध में पहली सफलता पाई थी।