वीरेंद्र की कर्मठता से समृद्ध हुई खेती-किसानी
विराट व्यक्तित्व की राजनीति में छोड़ी छाप। सहकारिता आंदोलन से गांवों को जोड़ा गया।
कपिल कुमार, मुजफ्फरनगर : देश के शीर्ष राजनीतिज्ञ वीरेंद्र वर्मा ने सूबे में सहकारिता की जड़ें सींचकर खेती-किसानी को समृद्ध किया था। वह जिले के पहले विधायक रहे, जो 11 जून 1959 को यूपी मंत्रिमंडल में सहकारिता उप मंत्री बने। कृषि मंत्री के रूप में वर्मा ने यूपी को अनाज पैदावार में सक्षम बनाने के साथ जिलों में मंडियां भी खुलवाई। पूर्व राज्यपाल वीरेंद्र वर्मा की जयंती पर उनके विराट व्यक्तित्व की स्मृतियां नहीं भूलती हैं।
शामली में चौधरी रघुवीर ¨सह और कौशल्या देवी के आर्य समाजी परिवार में 18 सितंबर 1916 को जन्मे वीरेंद्र वर्मा ने राजनीति में अपने उसूलों, स्पष्टता, ईमानदारी से विशिष्ट मुकाम बनाया। मेरठ कॉलेज मेरठ से वर्ष 1943 में बीए, एलएलबी के बाद राजनीति की राह चुनी। वर्मा का स्वतंत्र भारत में डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का प्रथम निर्विरोध चेयरमैन चुने जाना उनकी काबलियत का आगाज रहा। 1952 में कैराना से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने। उन्होंने पहली पंचवर्षीय योजना से गांवों को जोड़ा, ताकि ग्रामीण विकास आगे बढ़े। शिक्षा का मुद्दा हो या शुक्रताल का जीर्णोद्धार, स्वामी कल्याणदेव को वर्मा का अटूट सहयोग मिला। युमना नदी पर पानीपत-कैराना पुल निर्माण उन्हीं की देन है। वर्ष 1969 में चौधरी चरण ¨सह ने बीकेडी पार्टी बनाई तो वर्मा ने उनका साथ दिया। जिले की सभी 8 सीट वर्मा की अगुवाई में जीती गईं। खुद वह खतौली से विधायक बने। चौधरी चरण सिंह सीएम बने तो उन्हें ¨सचाई मंत्री का दायित्व मिला। वह प्रदेश में शिक्षा, गृह विभाग में कैबिनेट मंत्री भी रहे। बड़े चौधरी की वर्ष 1971 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर हार के बाद बदले सियासी माहौल में वर्मा पुन: कांग्रेस में लौट आए। बघरा से एमएलए और कृषि मंत्री बने। मेरठ के दौराला में केंद्रीय आलू संस्थान स्थापित करा उन्होंने प्रगतिशील किसानों को सौगात दी। चौधरी चरण¨सह उन्हें पुन: लोकदल में ले आए। कांग्रेस के पंडित उमा दत्त शर्मा बताते हैं कि वर्मा हिन्दू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे।
पूर्व विधायक सोमांश प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने सहकारिता और कृषि क्षेत्र में अमिट कार्य किए। वयोवृद्ध आचार्य गुरुदत्त आर्य बताते हैं कि वर्मा जैसा आदर्श जीवन राजनीति में अब दुर्लभ है। पंजाब और हिमाचल के गवर्नर रहे
तत्कालीन पीएम वीपी ¨सह और डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल ने वर्मा को जून 1990 में पंजाब का राज्यपाल बनाया था। आतंक से अशांत राज्य में हर मोर्चे पर उन्होंने जिम्मेदारी निभाई। हिमाचल प्रदेश के गवर्नर भी रहे। राज्यपाल पद से त्यागपत्र के बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के आग्रह पर वीरेंद्र वर्मा ने वर्ष 1998 में कैराना लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा। पहली बार कैराना में बीजेपी को जीत मिली।