लड़के को पटखनी देकर दंगल गर्ल बनी थी दिव्या
कुश्ती की कहानी फिल्मी पर्दे पर खूब उतर चुकी हैं। पुरबालियान निवासी दिव्या काकरान का कुश्ती करियर भी किसी कहानी से कम नहीं है। दिव्या ने महज आठ साल की उम्र में अखाड़े में कदम रखा था। यहां उनकी पहली कुश्ती बालिका के बजाय बालक वर्ग से हुई। रामपुर के छोरे को पटखनी देकर म्हारी छोरी दिव्या दंगल गर्ल बन गई।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कुश्ती की कहानी फिल्मी पर्दे पर खूब उतर चुकी हैं। पुरबालियान निवासी दिव्या काकरान का कुश्ती करियर भी किसी कहानी से कम नहीं है। दिव्या ने महज आठ साल की उम्र में अखाड़े में कदम रखा था। यहां उनकी पहली कुश्ती बालिका के बजाय बालक वर्ग से हुई। रामपुर के छोरे को पटखनी देकर म्हारी छोरी दिव्या दंगल गर्ल बन गई। बेटियों में कुश्ती का जज्बा पैदा करने के लिए कुश्ती की वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड की है, जिसमें पहली कुश्ती के साथ एशियन चैम्पियनशिप के दांव-पेंच दिखाए हैं।
दिव्या ने दंगल स्क्वेल के नाम से कुश्ती की वीडियो अपलोड की है। दिव्या कहतीं है कि उनका प्रयास है कि ग्रामीण अंचल में इस खेल के प्रति जागरूकता के साथ बेटियों को बढ़ावा मिले। इसी कारण से यह वीडियो शेयर की गई है। इसमें पहली कुश्ती से लेकर एशियन प्रतियोगिता में जीत तक के अंश शामिल हैं। वीडियो पिछले चौबीस घंटे में 933 लोग देख चुके हैं, जबकि 85 ने लाइक किया है।
उम्मीद नहीं थी, 500 के बजाय मिले तीन हजार
दिव्या के पिता बताते हैं कि तकरीबन 14 वर्ष पूर्व रामपुर में दंगल चल रहा था। वह दिव्या को वहां लेकर गए थे। दिव्या ने जीवन की पहली कुश्ती लड़ी, जिसमें लड़के को पटखनी दी। उसे हराने पर 500 रुपये तय थे, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी। इस कुश्ती के बाद दिव्या को प्रोत्साहन के रूप में तीन हजार रुपये मिले थे। यहीं से दिव्या के करियर को बल मिला। दिव्या ने गांव, ग्रामीण अंचल में 50 रुपये की इनामी कुश्ती तक लड़ी है।
रेलवे में टिकट कलक्टर, 70 से अधिक मेडल
कुश्ती में कामयाबी के फलक पर पहुंची दिव्या दिल्ली के शाहदरा रेलवे स्टेशन पर सीनियर टिकट कलक्टर है। भारत के लिए कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स में कांस्य जीतने के साथ अब तक 70 से अधिक मेडल अपने नाम कर चुकी है। फिलहाल वह दिल्ली में अपने कोच के साथ आवास पर ही अभ्यास करती है। उसको यहां तक पहुंचाने के लिए स्वजनों ने कड़ी मेहनत की है।