खस्ताहाल सड़कें..नहीं बनती चुनावी मुद्दा
जिले में कई राज्यों को जोड़ती है राष्ट्रीय राजमार्ग। अधिकतर सड़कों की हालत दयनीय चलना दूभर।
मुजफ्फरनगर : किसी भी शहर की तरक्की को उसकी सड़कें बयां करती है। जिले में सड़कों के नाम पर वादे-इरादे खूब हुए, लेकिन निर्माण व मरम्मत कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं। जनपद की सड़कें कई राज्यों को आपस में जोड़ती है। अधिकतर सड़कों की हालत दयनीय है। गड्ढामुक्त अभियान के बाद भी सड़कों की हालत में कोई सुधार नहीं हो पाया है। विडंबना यह है कि विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, पार्टियों व नेताओं के लिए मुद्दा नहीं बनते। सियासी दलों से लेकर नेताओं के घोषणा पत्रों में दिखावे भर तक सड़कें शामिल होती हैं। मजबूती के साथ कोई इन पर काम करता नहीं दिखता है। मुजफ्फरनगर जिला कई राज्यों को आपस में जोड़ता है। जनपद से दिल्ली, पंजाब, देहरादून, हरियाणा के लिए कनेक्टिविटी है। कागजों से बाहर आएं योजना
इस क्षेत्र की सीमा मेरठ-करनाल हाईवे से मिल रही है। मुजफ्फरनगर से वाया बुढ़ाना, बड़ौत मार्ग की हालत खस्ता है। 65 किलोमीटर तक सड़क यातायात के लिए नासूर बन चुकी है। इसके अलावा हाईवे तक आने वाला करीब 12 किलोमीटर का टुकड़ा जर्जर है। हालांकि फोरलेन बनाने की घोषणा जरुर की गई, मगर यह अभी कागजों तक ही सीमित है। जानसठ-मीरापुर क्षेत्र में भी सड़कों का हाल बुरा है। जानसठ व मीरापुर के बीच से पानीपत-खटीमा राजमार्ग निकल रहा है। दोनों क्षेत्रों में लगभग 40 किलोमीटर सड़क बदहाल है। पानीपत-खटीमा राजमार्ग को नेशनल हाईवे 709 घोषित किया गया है। लगभग 700 करोड़ की लागत से 129 किलोमीटर लंबा नया फोरलेन हाईवे तैयार करने का खाका खींचा गया है। नए हाईवे का काम अभी फाइलों में दबा है। इसे शुरू होने में अभी लंबा समय लगेगा। फिलहाल जनता को टूटी सड़कों से ही गुजारा करना पड़ रहा है। सड़कों की बदहाली के कारण कस्बों और क्षेत्रों को आपस में जोड़ने के लिए सड़कों की स्थिति दयनीय है। मुजफ्फरनगर-वाया चरथावल-थानाभवन मार्ग लगभग 35 किलोमीटर तक जर्जर स्थिति में है। इसके अलावा 15 किलोमीटर तक चरथावल-रोहाना मार्ग बदहाल है। पथरीली डगर पर चुनावी पहिया
मुजफ्फरनगर: पानीपत-खटीमा मार्ग बिजनौर, मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा क्षेत्रों को जोड़ता है। इसके निर्माण के लिए प्रक्रिया सालों से चल रही है। भाजपा, रालोद, कांग्रेस और भाकियू ने अपने-अपने हिसाब से इस मार्ग के निर्माण के लिए आंदोलन किए। पांच साल पूर्व जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब भाजपा ने खूब धरने-प्रदर्शन किए। चार साल पूर्व रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी ने मार्ग के निर्माण को 17 किमी लंबी पैदल यात्रा की थी। दो माह पूर्व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसका शिलान्यास किया था। सरकारी तौर पर निर्माण के लिए खाका खींच लिया गया है, लेकिन पूरा होने में तीन साल का समय लगेगा। 129 किमी लंबा यह मार्ग चार भागों में बनाया जाना है। जिसके निर्माण पर तीन हजार करोड़ से अधिक की लागत आएगी। जानसठ, सिखेड़ा और बघरा में बाइपास को लेकर विरोध भी हो रहा है। सांसद डॉ. संजीव बालियान का कहना है कि पानीपत-खटीमा राजमार्ग के टेंडर आदि की प्रक्रिया आचार संहिता से पहले हो चुकी है। यूपी और हरियाणा के लोगों को इससे फायदा लाभ मिलेगा। इन्होंने कहा..
भाजपा ने ढेरों वादे कर केंद्र में सरकार बनाई थी। योगी सरकार ने भी गड्ढामुक्त सड़क बनाने की घोषणाएं की थी, जो हवाई साबित हुई है।
- गौरव स्वरूप, सपा जिलाध्यक्ष। देश के विकास में सड़कों का अहम योगदान होता है। रालोद लंबे से से सड़कों के निर्माण को आंदोलन कर रही है। पानीपत-खटीमा मार्ग का मुद्दा रालोद ने ही उठाया था।
- अजित राठी, रालोद जिलाध्यक्ष। केंद्र सरकार केवल जुमले गढ़ने में लगी रही। कांग्रेस राज में पास हुए मार्गो का भाजपा राज में शिलान्यास हुआ है। भाजपा ने केवल वादे किए व सपने दिखाए।
- नानू मियां, कांग्रेस जिलाध्यक्ष।