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मुजफ्फरनगर : आठ करोड़ डकार गया समाज कल्याण विभाग का क्लर्क, अब किया गया बर्खास्त

समाज कल्याण विभाग मेें तैनात क्लर्क घोटाले पर घोटाले करता रहा लेकिन विभाग सोता रहा। आठ करोड़ डकारने के बाद शासन ने अब उसे बर्खास्त कर दिया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी ने पत्र जारी किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 11:17 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 08:56 AM (IST)
मुजफ्फरनगर : आठ करोड़ डकार गया समाज कल्याण विभाग का क्लर्क, अब किया गया बर्खास्त
समाज कल्याण विभाग मेें तैनात क्लर्क अनिल वर्मा को आठ करोड़ के घोटाले में बर्खास्त किया गया है।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। समाज कल्याण विभाग मेें तैनात क्लर्क घोटाले पर घोटाले करता रहा, लेकिन विभाग सोता रहा। आठ करोड़ डकारने के बाद शासन ने अब उसे बर्खास्त कर दिया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी ने पत्र जारी किया है। वर्तमान में अनिल की तैनाती बिजनौर में थी। जिला समाज कल्याण अधिकारी अर्चना ने बताया कि पूर्व में तैनात रहे क्लर्क अनिल वर्मा के बर्खास्त होने संबंधी पत्र शासन से प्राप्त हुआ है।

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वर्ष 2009 में जिला समाज कल्याण विभाग में करोड़ों रुपये का छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला प्रकाश में आया था। घोटाला खोलने जा रहे तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही पर गोलियां बरसा दी गई थीं। इसके बाद समाज कल्याण विभाग के 13 क्लर्कों सहित तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी गयासुद्दीन मलिक को भी निलंबित कर दिया गया था।

बिजनौर से आए कनिष्ठ लिपिक अनिल वर्मा को छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति सहित कई अहम काम दिए गए। अनिल वर्मा ने रिंकू सिंह राही कांड के आरोपितों से मिलकर करोड़ों का खेल कर दिया। ए. सिंह के हस्ताक्षर से अपनी आइडी व फोटो लगाकर जिला समाज कल्याण अधिकारी के पदनाम से यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया रेलवे रोड में बैंक खाता खोला।

शासन की योजनाओं की इस खाते में धनराशि जमा कराई। कई किस्तों में खाते से 92.67 लाख रुपये आहरित कर लिए। शेष धनराशि 7.67 लाख चेक के माध्यम से आहरित की। इसके बाद खाता बंद कर दिया। बैंक ऑफ बड़ौदा गांधी कॉलोनी में जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी के पदनाम से खाता खोलकर इसमें 6.94 करोड़ रुपये आहरित कर लिए। वर्ष 2012 में शासन से नियुक्त टीम ने फर्जीवाड़ा पकड़ा और अनिल कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया गया। उसे जेल जाना पड़ा। बाद में अनिल वर्मा बहाल हो गया और बिजनौर में उसे समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में तैनाती मिली।


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