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प्राथमिक उपचार केंद्र बनकर रह गया सीएचसी

बुढ़ाना कस्बे में बने सीएचसी पर सुविधाओं के न होने से सीएचसी केवल प्राथमिक उपचार केंद्र बन कर रह गया है। सीएचसी पर कभी ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने की घोषणाएं खोखली साबित हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 11:50 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:09 AM (IST)
प्राथमिक उपचार केंद्र बनकर रह गया सीएचसी
प्राथमिक उपचार केंद्र बनकर रह गया सीएचसी

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। बुढ़ाना कस्बे में बने सीएचसी पर सुविधाओं के न होने से सीएचसी केवल प्राथमिक उपचार केंद्र बन कर रह गया है। सीएचसी पर कभी ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने की घोषणाएं खोखली साबित हुई हैं।

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कस्बे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए लगभग पांच वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से तीन मंजिला इमारत बनाई गई थी। करीब चार वर्ष पूर्व कस्बे की पीएचसी का स्टाफ सीएचसी पर स्थानांतरित कर चिकित्सा का कार्य शुरू कराया गया, जो आज तक जस का तस बना हुआ है। सीएचसी पर सुविधाएं वही नाममात्र की हैं, जो पहले पीएचसी पर मौजूद थी। 30 बेड के अस्पताल मे सर्जन, बाल रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञ आदि समेत अन्य स्टाफ की भी कमी है। विशेषज्ञों की कमी के कारण दुर्घटना में घायलों व सिजेरियन के लिए मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। सीएचसी पर प्रतिदिन करीब 500 मरीज स्वास्थ्य जांच कराने व दवाइयां लेने आते हैं। सीएचसी पर एक्स रे मशीन न होने के कारण दुर्घटना में घायल व टीबी के मरीजों की जांच के लिए भी जिला अस्पताल भेजना पड़ता है। सीएचसी पर सामान्य प्रसव की ही सुविधा उपलब्ध है। गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी होने पर या इमरजेंसी प्रसव होने पर जिला अस्पताल ही रेफर किया जाता है। बच्चों में होने वाले रोगों को देखने के लिए भी सीएचसी पर बाल रोग विशेषज्ञ तैनात नही है।

चिकित्सकों का टोटा, महिला रोग विशेषज्ञ तक नहीं

सीएचसी के अलावा कस्बे में पुरानी पीएचसी बिल्डिग में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए अलग से केंद्र घोषित किया गया था। मगर महिला विशेषज्ञ तैनात न होने से वहां महिलाओं के प्रसव की कोई सुविधा शुरू नहीं हो पाई। क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर रायसिंह, कुरालसी, रियावली नंगला में पीएचसी केंद्र बनाए गए हैं। जिन पर तीन चिकित्सक तैनात हैं, लेकिन सीएचसी पर चिकित्सकों का अभाव होने के कारण उन्हें अधिकतर समय सीएचसी पर ही सेवाएं देनी पड़ती हैं।

घायलों को करना पड़ता है रेफर

सीएचसी पर सर्जन न होने के कारण अक्सर गंभीर घायलों को मुजफ्फरनगर और मेरठ रेफर किया जाता है। 35 से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हायर सेंटर पर ले जाने में कईं बार मरीज की जान को खतरा बना रहता है। अगर सीएचसी पर सर्जन मौजूद हो तो गंभीर घायलों की जान बचाई जा सकती है।

इन्होंने कहा

सीएचसी पर सर्जन न होने के कारण गंभीर घायलों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है। सीएचसी पर एक्सरे मशीन भी न होने के कारण ऐसे मरीजों को भी रेफर किया जाता है।

डॉ. विक्रांत, चिकित्सा अधीक्षक सीएचसी

गर्भवती महिलाओं के लिए सिजेरियन की सुविधा नहीं है। प्रसूति रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल पर होने से ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।

-डॉ. गरिमा चौधरी, महिला चिकित्साधिकारी


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