भाकियू व रालोद कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखा किया किसान मेले का विरोध
मोरना ब्लाक मुख्यालय पर कृषि विभाग द्वारा किसान कल्याण मिशन योजना के तहत आयोजित किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी में गुरुवार को सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। भाकियू व रालोद कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए और सरकार को किसान विरोधी बताते हुए मंच के सामने धरना देकर बैठ गए।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मोरना ब्लाक मुख्यालय पर कृषि विभाग द्वारा किसान कल्याण मिशन योजना के तहत आयोजित किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी में गुरुवार को सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। भाकियू व रालोद कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए और सरकार को किसान विरोधी बताते हुए मंच के सामने धरना देकर बैठ गए। सीओ व एसओ ने समझा बुझाकर कार्यकर्ताओं को शांत कर बाहर भेजा।
किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में महिला एवं बाल विकास, पशु पालन, कृषि, गन्ना, पंजाब नेशनल बैक, स्वास्थ्य विभाग आदि के द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई। मुख्य अतिथि भाजपा नमामि गंगे के प्रदेश सह-संयोजक डा. वीरपाल निर्वाल व ब्लाक प्रमुख अनिल राठी ने फीता काट व दीप प्रज्जवलित कर मेले का शुभारंभ किया। कृषि विज्ञान केंद्र बघरा से वैज्ञानिक डा. पीके सिंह, वैज्ञानिक डा. संजीव कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र चितौड़ा के वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ भारतवीर आदि वक्ता किसानों को जानकारी देने के लिए मंचासीन थे कि तभी रालोद के मनोज राठी, भाकियू के योगेश शर्मा, मिटू राठी, बिट्टू प्रधान, सतबीर बाबा, हवा सिंह कई दर्जन कार्यकताओं के साथ हाथों में काले झंडे लेकर सरकारी के खिलाफ नारे बाजी करते हुए किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी पंडाल में पहुंच गए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मंच के सामने ही धरना देकर बैठ गए। भाकियू के जिला महासचिव ने योगेश शर्मा ने माइक अपने हाथों में लेते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है। भाकियू के जिला संगठन मंत्री सर्वेंद्र राठी ने कहा कि कृषि कानून के विरोध में किसान घरों से निकलकर सड़कों पर बैठा है और सरकार कृषि मेले कर रही है। मेले में किसान नही लालच देकर मजदूर लाए गए हैं। उन्होंने मेले में मौजूद लोगों को धरने के दौरान शहीद हुए किसानों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन कराया तथा मेले का बहिष्कार करने की अपील की जिसके बाद अनेक किसान पंडाल छोड़कर चले गए। हंगामा बढ़ता देख सीओ सत्येंद्र तिवारी व एसओ सूबेसिंह यादव ने समझा बुझाकर कार्यकर्ताओं को शांत कर बाहर भेजा। इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी की।