अज्ञानता के अंधेरे को चीर रहा ज्ञान का 'अरुण'
सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभ से समाज सुशिक्षित बन रहा है। इसके साथ ही डीएवी कालेज के प्रवक्ता अरुण कुमार भी अपने ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता का अंधेरा चीर रहे हैं। प्रतिभाशाली बच्चों की करियर काउंसिलिग कर उन्हें सफलता का रास्ता दिखा रहे हैं। इसके साथ एससी-एसटी वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से उन्हें पढ़ने के लिए किताबों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों का निर्माण कर बच्चों में शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं।
तरुण पाल, मुजफ्फरनगर। सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभ से समाज सुशिक्षित बन रहा है। इसके साथ ही डीएवी कालेज के प्रवक्ता अरुण कुमार भी अपने ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता का अंधेरा चीर रहे हैं। प्रतिभाशाली बच्चों की करियर काउंसिलिग कर उन्हें सफलता का रास्ता दिखा रहे हैं। इसके साथ एससी-एसटी वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से उन्हें पढ़ने के लिए किताबों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों का निर्माण कर बच्चों में शिक्षा की अलख भी जगा रहे हैं।
शहर के डीएवी इंटर कालेज में जीव विज्ञान के प्रवक्ता अरुण कुमार कालेज में अपनी कक्षाएं देने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं। अरुण कुमार अपनी टीम के साथ बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाएं देने के लिए भी तैयारी करा रहे हैं। प्रवक्ता अरुण कुमार ने लोगों को जोड़कर जनपद में एससी-एसटी वेलफेयर एसोसिएशन सामाजिक संस्था तैयार की। इसके माध्यम से फंड जुटाकर प्रतिवर्ष 10वीं और 12वीं परीक्षाओं की मेरिट में शामिल बच्चों को पुरस्कृत करते हैं। वहीं उन्हें आगे करियर की राह दिखाकर मदद भी करते हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए उन्होंने पुस्तकालय तैयार कराएं। अरुण कुमार ने बताया कि गांव चौरावाला, बरवाला, जड़ौदा, मलीरा सहित शहर के बसंत विहार में पुस्तकालय तैयार कराए गए, जहां बच्चों के पढ़ने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के किताबें आदि सामग्री भी रखवाई गई। पुस्तकालयों के अलावा बच्चों को 15 हजार रुपये की किताबें भी बच्चों को दी गई है, जिससे बच्चे तैयारी करते हैं। माता-पिता को भी कर रहे जागरूक
अरुण कुमार के सहयोग से पिछले कई वर्षो से चल रही सामाजिक संस्था इस नववर्ष से सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता कराने का भी मन बना रही है ताकि बच्चों को सामान्य ज्ञान बेहतर हो और वे समाचार पत्र सहित अन्य किताबें पढ़ने में रुचि लें। वहीं टीम गांव-गांव जाकर बच्चों के माता-पिता को भी जागरूक करने के लिए काम कर रही है। इस दौरान पिता को बच्चों को पढ़ाने के लिए जागृत किया जाता है। उन्हें समझाया जाता है कि वह अपने व्यर्थ के खर्चे त्यागकर बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करें।