प्राचीन शिव मंदिर-भंडूरा में होती है मनोकामना पूरी
जानसठ के सिखेड़ा क्षेत्र के भंडूरा गांव में प्राचीन शिव मंदिर क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। क्षेत्र व आसपास के गांवों लोग मंदिर में आकर जल चढ़ाकर भगवान आशुतोष को प्रसन्न करते हैं। सावन के महीने में दूर-दूर से लोग मंदिर में पहुंचकर शिवलिग पर जलाभिषेक कर प्रार्थना करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर में सभी की मनोकामना पूरी होती है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जानसठ के सिखेड़ा क्षेत्र के भंडूरा गांव में प्राचीन शिव मंदिर क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। क्षेत्र व आसपास के गांवों लोग मंदिर में आकर जल चढ़ाकर भगवान आशुतोष को प्रसन्न करते हैं। सावन के महीने में दूर-दूर से लोग मंदिर में पहुंचकर शिवलिग पर जलाभिषेक कर प्रार्थना करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार मंदिर में सभी की मनोकामना पूरी होती है। इतिहास
लोग बताते हैं कि मंदिर मुगलकालीन है। सैकड़ों साल पहले जमींदार ने अपनी जमीन किसान को बटाई पर दे रखी थी। बटाईदार जब जमीन की जुताई कर रहा था तो एक स्थान पर हल अटक गया। खोदाई करने पर शिवलिग दिखाई दिया। जमींदार ने उक्त जमीन पर मंदिर बनवाया। मंदिर में शिवजी के अलावा गणेश, लक्ष्मी व नंदी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर के मुख्य मार्ग पर बड़ा सा द्वार बना है। विशेषता
मंदिर में श्रावण मास में हजारों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल लाकर चढ़ाते है। मंदिर करीब 13 बीघे में बना होने के कारण काफी बड़ा है। मंदिर के परिसर में कई तरह के पेड़ लगा रखे हैं, जिससे वहां की छवि बहुत सुंदर लगती है। श्रावण मास में करीब एक सप्ताह तक बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में श्रावण मास के सोमवार को अधिक संख्या में श्रद्धालु आकर जल चढाते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि पहले यह शिवलिग बहुत छोटा था, लेकिन हर साल इसके आकार में वृद्धि हो रही है। इनका कहना है..
मंदिर की मान्यता के कारण दूरदराज से लोग आते हैं और जलाभिषेक करते हैं। श्रावण मास में मेला लगता है। श्रद्धालु यहां प्रार्थना कर मनोकामना पूरी करते हैं।
- आलोकानंद सरस्वती, पुजारी
मंदिर में प्रतिदिन आरती के साथ भजन किया जाता है, जिसमें गांव के बहूत से श्रद्धालु भाग लेते हैं। श्रावण मास में मंदिर में विशेष भजन-संध्या की जाती है, जिससे मन को शांति मिलती है।
- दीपक बंजार, श्रद्धालु