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कोरोना से जंग में चट्टान की तरह डटी रहीं अलका

तरुण पाल मुजफ्फरनगर कोरोना से जंग में स्वास्थ्य विभाग में तैनात जिला सर्विलांस अफसर चट्टान की तरह अंत तक डटी हुई हैं। विदेश सहित अन्य प्रदेशों से जिले में आने वाले संदिग्ध लोगों के सैंपल लेने से लेकर उनके पाजिटिव होने तक की निगरानी उन्होंने सावधानी के साथ की। काम की जिम्मेदारी के बीच उन्हें खुद भी संक्रमण का शिकार होना पड़ा लेकिन वापस आकर बिना डरे उन्होंने फिर से कोरोना को मात देने के लिए मैदान में डटकर काम किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 11:07 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 11:07 PM (IST)
कोरोना से जंग में चट्टान की तरह डटी रहीं अलका
कोरोना से जंग में चट्टान की तरह डटी रहीं अलका

तरुण पाल, मुजफ्फरनगर

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कोरोना से जंग में स्वास्थ्य विभाग में तैनात जिला सर्विलांस अफसर चट्टान की तरह अंत तक डटी हुई हैं। विदेश सहित अन्य प्रदेशों से जिले में आने वाले संदिग्ध लोगों के सैंपल लेने से लेकर उनके पाजिटिव होने तक की निगरानी उन्होंने सावधानी के साथ की। काम की जिम्मेदारी के बीच उन्हें खुद भी संक्रमण का शिकार होना पड़ा, लेकिन वापस आकर बिना डरे उन्होंने फिर से कोरोना को मात देने के लिए मैदान में डटकर काम किया।

स्वास्थ्य विभाग में जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर तैनात डा. अलका सिंह ने कोरोना से जंग के दौरान संपूर्ण साहस का परिचय सबसे विपरीत परिस्थितियों में दिया। महिला होने के बाद भी उनके पांव कोरोना के सामने नहीं लड़खड़ाए। मुजफ्फरनगर में 28 जनवरी, 2020 को चीन के वुहान शहर से लौटे स्थानीय निवासी का कोरोना सैंपल उनके घर से लिया, जिसमें डा. अलका सिंह ने हिम्मत दिखाकर अन्य कर्मचारियों की हिम्मत बंधाई। इसके बाद से अब तक वह जिला सर्विलांस अधिकारी की जिम्मेदारी पर खरी उतर रही हैं। कोरोना मरीजों का डाटा, सैपलिग, मरीज आदि की निगरानी रखने के लिए वह काम कर रही हैं। डा. अलका सिंह के परिवार में दो छोटे बच्चे, पति व ससुर भी साथ रहे, लेकिन सभी सावधानियों का पालन करते हुए उन्होंने अंत तक परिवार को खुद के साथ कोरोना से बचाकर रखा। स्वजन को खुद ही पौष्टिक भोजन पकाकर खिलाने के साथ अन्य सावधानियों के प्रति सभी को जागरूक किया। संक्रमित होने के बाद भी नहीं लड़खड़ाए कदम

कोरोना से जंग के बीच डा. अलका सिंह खुद भी संक्रमित हो गई, जिसके बाद उन्हें कुछ दिन मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में आइसोलेट रहना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के लोगों का भी टेस्ट कराया, जिसमें उनके पति भी संक्रमित निकल गए, जिस कारण उन्हें भी आइसोलेशन में रहना पड़ गया। स्वस्थ होकर उन्होंने फिर जिम्मेदारी बिना डर के संभाली और लगातार कोरोना मरीजों के लिए काम में डटी हुई हैं।


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