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गमगीन माहौल में अधिवक्ता का शव सुपुर्द-ए-खाक

-नमाजे जनाजा में शामिल हुए हजारो लोग पुलिस रही तैनात जागरण संवाददाता मुजफ्फरनगर गांव सीकरी के जंगल से गहरे गड्ढे से शनिवार देर रात बरामद किये गए अधिवक्ता के शव को पोस्टमार्टम के बाद रविवार को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। जिसके बाद अपरान्ह में शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। शनिवार रात ही अधिवक्ता समीर सैफी का शव सीकरी के जंगल से ब

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 11:42 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 11:42 PM (IST)
गमगीन माहौल में अधिवक्ता का शव सुपुर्द-ए-खाक
गमगीन माहौल में अधिवक्ता का शव सुपुर्द-ए-खाक

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। गांव सीकरी के जंगल से गहरे गड्ढे से शनिवार देररात बरामद किये गए अधिवक्ता के शव को पोस्टमार्टम के बाद रविवार को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। जिसके बाद अपराह्न शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।

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शनिवार रात ही अधिवक्ता समीर सैफी का शव सीकरी के जंगल से बरामद कर लिया गया था। शव को रात में ही पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया। रविवार अपराह्न करीब एक बजे शव का पोस्टमार्टम किया गया। जिसके बाद शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। बकरा मार्केट स्थित अधिवक्ता के घर से जनाजा उठा तो परिवार में कोहराम छा गया। बच्चे बड़ों व महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। नमाजे जनाजा में सैकड़ों लोग शामिल हैं। जिसके बाद सरवट स्थित कब्रिस्तान में शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इससे पूर्व मृतक के घर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था, जबकि आरोपितों के घर पर भी पुलिस का पहरा था। हाल में ही खरीदा था मकान

अधिवक्ता समीर सैफी प्रैक्टिस के साथ कारोबार भी कर रहे थे। हाल में उन्होंने अपने पुराने मकान के आसपास ही एक महंगा और आलीशान मकान खरीदा था। बहुत जल्द अधिवक्ता की शादी होने वाली थी, और उसकी होने वाली पत्नी भी एमबीबीएस की पढ़ाई पढ़ रही थीं। कई सवाल खड़े कर गया हत्याकांड

मुजफ्फरनगर : युवा अधिवक्ता का कत्ल उसके उस दोस्त ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया जिस पर सबसे अधिक विश्वास करता था। परिजनों ने अधिवक्ता की गुमशुदगी के बाद ही उसके दोस्त सिगोल पर शक जता दिया था। पुलिस ने उसे अन्य साथियों के साथ पकड़ भी लिया था। लेकिन मामूली पूछताछ कर फिर छोड़ दिया। सूत्रों की मानें तो सिगोल को छुड़ाने में समाजवादी प्रगतिशील पार्टी से जुड़े एक नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके कहने पर ही सिगोल को छोड़ दिया गया। यदि पुलिस सिगोल को उस समय न छोड़ती और सख्ती से पूछताछ करती तो शनिवार रात को उसकी किरकिरी होने से बच जाती।


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