डॉक्टर व स्टाफ अस्पताल में ताला लगा चले गए, मासूम बेटी संग नौ घंटे बंद रही बीमार महिला
मुजफ्फरनगर की फलौदा सीएचसी में डॉक्टर की लापरवाही से एक महिला मरीज उसकी मासूम बेटी और ननद की जान पर बन आई।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। डॉक्टर की लापरवाही से एक महिला मरीज, उसकी मासूम बेटी और ननद की जान पर बन आई। महिला को लगाई गई ग्लूकोज की बोतल खून से भर गई। भूख-प्यास से तड़प रही मासूम बेटी को शौचालय की टंकी का पानी तक पिलाना पड़ा। ननद ने बाग में काम कर रहे लोगों की सहायता से पुलिस को जानकारी दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने स्टाफ को बुलाकर महिला को निकाला। कर्मचारियों ने कार्रवाई के डर से महिला से कोरे कागज पर दस्तखत करवा लिए।
भैसानी निवासी जयकुमार लकड़ी काटने का काम करता है। उसकी पत्नी सोनिया (25) की तबीयत खराब है। सोनिया अपनी तीन साल की बेटी परी व बुजुर्ग ननद फूलमती के साथ शुक्रवार सुबह फलौदा सीएचसी पहुंची। चिकित्सक ने उसे भर्ती कर ग्लूकोज की बोतल लगा दी। पीड़िता के अनुसार इसके बाद चिकित्सक व स्टाफ अस्पताल का ताला लगाकर चले गए। इस पर वह चीखने-चिल्लाने लगी।
पीड़िता को लगाई गई ग्लूकोज की बोतल खून से भर गई। शोर-शराबा सुनकर बराबर के बाग में काम कर रहे लोगों ने खिड़की से पीड़िता को देखा। पीड़िता ने लोगों से फोन लेकर पुलिस व परिजनों को जानकारी दी। पुलिस अस्पताल पहुंची और स्टाफ को बुलवाया। पीड़िता के अनुसार नौ घंटे बाद उसे निकाला गया। उसने ने बताया कि चिल्ला-चिल्लाकर उसका गला सूख गया। तीन साल की बेटी भी प्यास से तड़पने लगी तो उसे शौचालय की टंकी का पानी पिलाया। बताया कि जो बोतल डॉक्टर ने लगाई थी, वह भी खून से भर गई।
चिकित्सा प्रभारी डॉ. पूनमलता का कहना है कि महिला मरीज उपचार के लिए भर्ती की गई थी। पुरकाजी में कार्यक्रम के चलते स्टाफ भूलवश उसे बंद कर आ गया था। जानकारी मिलने पर महिला को निकालकर उसके घर भेज दिया गया।
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