प्रदूषण फैलाने पर 24 औद्योगिक इकाइयों पर जुर्माना
एनसीआर में शामिल होने के बाद भी मुजफ्फरनगर की औद्योगिक इकाइयां से बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाया जा रहा था। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 24 औद्योगिक इकाइयों पर 97.50 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया है।
तरुण पाल, मुजफ्फरनगर :
एनसीआर में शामिल होने के बाद भी मुजफ्फरनगर की औद्योगिक इकाइयां से बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाया जा रहा था। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 24 औद्योगिक इकाइयों पर 97.50 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया है।
पिछले वर्ष दीपावली के बाद आबोहवा जहरीली होने के कारण जनपद में निर्माण कार्याें के साथ कुछ दिन औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं पर रोक लगाते हुए इकाइयों को 10 से 15 दिन के लिए बंद रखा गया था। इसके बाद आबोहवा में थोड़ी राहत महसूस की गई थी। 2020 में इस समस्या से निपटने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली से पहले ही तैयारी पूर्ण की। पेपर मिलों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने का कारण माना गया। जांच के बाद जनपद की 24 औद्योगिक इकाइयों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में 97.50 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया गया। परिणाम रहा कि दीपावली के बाद एक्यूआइ 315 तक रहा, जबकि गत वर्ष एक्यूआइ 400 से उपर तक पहुंचता था।
इन उद्योगों पर लगा इतना जुर्माना
नाम रकम
बिदल डुप्लैक्स यूनिट-1 4:50 लाख
बिदल डुप्लैक्स यूनिट-2 4:50 लाख
पारिजात पेपर मिल: 3:00 लाख
दिशा पेपर इंडस्ट्री: 4:50 लाख
बिदल पेपर लिमेटिड: 4:50 लाख
गैलेक्सी पेपर लिमेटिड: 3:00 लाख
कृष्णांचल पल्प एंड पेपर: 3:00 लाख
गर्ग डुप्लैक्स एडं पेपर: 4:50 लाख
केके डुप्लैक्स लिमेडिट: 3:00 लाख
महालक्ष्मी क्राफ्ट-टिशू: 4:50 लाख
मीनू पेपर लिमेटिड: 4:50 लाख
ओरिएंट बोर्ड एडं पेपर: 1:50 लाख
शक्ति क्राफ्ट एडं टिशू: 4:50 लाख
श्री भागेश्वरी पेपर मिल-1: 4:50 लाख
श्री भागेश्वरी पेपर मिल-2: 4:50 लाख
सिद्धेश्वरी इंडस्ट्री: 4:50 लाख
सिद्धबली पेपर मिल: 4:50 लाख
सिल्वरटन पल्प पेपर-1 : 4:50 लाख
सिल्वरटन पल्प पेपर-2: 4:50 लाख
सिल्वरटन पेपर-1: 4:50 लाख
सिल्वरटन पेपर-2: 4:50 लाख
टिहरी पल्प पेपर-1: 4:50 लाख
टिहरी पल्प पेपर-2: 4:50 लाख
तिरूपति बालाजी फाइबर: 3:00 लाख
इन्होंने कहा..
प्रदूषण फैलाने के चलते 24 औद्योगिक इकाइयों पर 97.50 लाख का जुर्माना लगाया गया है। एक साथ बड़ी कार्रवाई के चलते प्रदूषण पर काबू भी पाया गया है।
- अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड