युवाओं को क्त्रातिकारी बनाने मुरादाबाद आए थे बिस्मिल
मुरादाबाद : भारतीय स्वतंत्रता आदोलन की क्त्रातिकारी धारा के प्रमुख सेनानी, कवि, साहित्यकार, श
मुरादाबाद : भारतीय स्वतंत्रता आदोलन की क्त्रातिकारी धारा के प्रमुख सेनानी, कवि, साहित्यकार, शायर पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का आज जन्मदिन है। आजाद भारत में अपनी प्रमुख भूमिका निभाने वाले पंडित रामप्रसाद बिस्मिल ने कम उम्र में अपनी कायरें से ख्याति प्राप्त की। देश की आजादी के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। देश की खातिर ही 30 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों द्वारा दी गयी फासी को सहर्ष स्वीकार करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। गोरखपुर जेल में उन्होंने अंतिम सास ली।
यादों को किया साझा
समाजसेवी धवल दीक्षित ने उनकी मुरादाबाद की यादों के बारे में बताते हुए कहा कि शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल काकोरी काड के बाद मुरादाबाद में एक दिन रुके। स्वतंत्रता आदोलन को लेकर उन्होंने युवाओं में जोश भरा। सभा आयोजित की गई। सभा में उन्होंने युवाओं से कहा कि अग्रेंजी हुकुमत से आजाद करने के लिए हमें आगे आना होगा। इसके लिए हम संकल्प लें। रात में बैठक की गयी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही आजादी के लिए वह अपनी पुस्तकों को लेकर वह अक्सर मुरादाबाद के रास्ते दिल्ली जाया करते थे। उनकी इस यादों को शहर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में सहेजा गया है। सेनानी भवन में उनकी प्रतिमा के साथ उनके यात्रा चित्र का भी उल्लेख है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला, उसका उपयोग उन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध करने में लगाया। मुरादाबाद से उनका गहरा लगाव रहा है।
उनकी प्रमुख रचनाओं पर एक नजर
मैनपुरी षडय़ंत्र, स्वदेशी रंग, चीनी षडय़ंत्र, अशफाक की याद में, जनरल जार्ज वाशिगटन समेत कई पुस्तकें लिखीं। साथ ही सरफरोशी की तमन्ना, जज्बे-शहीद, जिंदगी का राज, बिस्मिल की तड़प समेत तमाम कविताएं और गजलें भी लिखीं।