विश्व हीमोफीलिया दिवस : बिना वजह बहे खून तो हो जाएं सतर्क, हो सकते हैं हीमोफीलिया के लक्षण Moradabad News
जिला अस्पताल में हो रहा 40 हीमोफीलिया के मरीजों का इलाज। लखनऊ से आती है हीमोफीलिया के मरीजों की डोज।
मुरादाबाद, जेएनएन। नियमित इलाज से हीमोफीलिया की रोकथाम की जा सकती है। बेवजह खून बह रहा हो तो आप जांच कराएं हो सकता है कि आप हीमोफीलिया का शिकार हों।
मरीजों को किया गया जागरूक
शुक्रवार को यानी आज विश्व हीमोफीलिया दिवस है। इसको लेकर जिला अस्पताल में मरीजों को जागरूक किया गया। मुरादाबाद जिला अस्पताल मेें इस वक्त 40 हीमोफीलिया के मरीजों का इलाज हो रहा है। उनके लिए लखनऊ पीजीआइ से हर माह दवा आती है। ताकि उनके खून के थक्कों को व्यवस्थित किया जा सके।
क्या है ये बीमारी
ये एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है। शरीर का कोई हिस्सा कट जानेे के बाद ख़ून बहता है लेकिन रुक नहीं पाता। थक्के बनाने के लिए जरूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा करते है। इसके बाद खून बहना बंद होता है। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है। उनमें खून के थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं।
10 हजार में एक को होती है बीमारी
हीमोफीलिया दो तरह का होता है। हीमोफीलिया ए, में फैक्टर आठ की कमी होती और हीमोफीलिया बी, में घटक नौ की कमी होती है। दोनों में ही ख़ून के थक्के बनाने के लिए आवश्यक है। ये दुर्लभ बीमारी है। हीमोफीलिया ए, का 10 हजार में से एक मरीज़ पाया जाता है और बी, के 40 हजार में से एक। बीमारी बहुत गंभीर है। इसको लेकर लोगों में जागरूकता भी नहीं के बराबर है।
ये बीमारी अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होती है। माता-पिता में से किसी को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी हो सकती है। अभी हमारे अस्पताल मेें 40 हीमोफीलिया के मरीजों का इलाज हो रहा है।
डॉ राजेंद्र कुमार, चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल