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World Day Against Child Labour 2021 : बाल श्रमिकों का भविष्य संवारेगी नया सवेरा योजना, शहर के 46 वार्डों का सर्वे

बाल श्रमिकों के लिए नया सवेरा योजना भविष्य संवारने के लिए है। इस योजना के तहत चिह्नित होने वाले बाल श्रमिकों की पढ़ाई की जिम्मेदारी सरकार को उठानी है। इसके तहत महानगर के 46 वार्डों का सर्वे हो चुका है। बाकी वार्डों के सर्वे का काम चल रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 09:45 AM (IST)
World Day Against Child Labour 2021 : बाल श्रमिकों का भविष्य संवारेगी नया सवेरा योजना, शहर के 46 वार्डों का सर्वे
कोरोना काल में 32 बच्चों को तलाश करके की मदद।

मुरादाबाद, जेएनएन। बाल श्रमिकों के लिए नया सवेरा योजना भविष्य संवारने के लिए है। इस योजना के तहत चिह्नित होने वाले बाल श्रमिकों की पढ़ाई की जिम्मेदारी सरकार को उठानी है। इसके तहत महानगर के 46 वार्डों का सर्वे हो चुका है। बाकी वार्डों के सर्वे का काम चल रहा है। इस योजना के तहत बाल श्रमिकों को पढ़ा-लिखाकर रोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा काेरोना संक्रमण काल में परिवार को पालने के लिए घरों से निकले कई बच्चों को पकड़ने के बाद परिवार को सौंपा गया है।

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भारत सरकार की नया सवेरा योजना बाल श्रमिकों को नया जीवन देने का काम कर रही है। इस योजना के तहत शहर के सभी वार्डों का सर्वे करने की जिम्मेदारी शोभना ग्रोमोद्योग सेवा समिति को दी गई थी। सर्वे के दौरान 46 वार्डों में छह से 14 साल तक के 2,105 बच्चे मिले। 14 से 18 साल तक के 218 बच्चों के नाम आए। लेकिन, इनमें बाल श्रमिक सिर्फ 322 ही थे। बाकी बच्चे बाल श्रमिकों की श्रेणी से बाहर के थे। सभी बच्चों की श्रम विभाग की तरफ से मदद हुई। बाल श्रमिकों की सूची बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजकर उनका घर के पड़ोस से स्कूल में दाखिला करा दिया है। इसके अलावा सभी बच्चों के माता-पिता के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उनकी काउंसिलिंग कराई गई। ताकि वह अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार रहें। किसी भी तरह की दिक्कत पैदा न करें। इसके अलावा काेरोना काल के दौरान 2020-21 में श्रम विभाग ने मानव तस्करी रोकथाम इकाई और चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाकर कुल 32 बच्चों का जीवन संवारने का काम किया। सितंबर में 17 बच्चे, मार्च में 13 और नवंबर में दो बच्चों को रेस्क्यू करके चाइल्ड लाइन को सौंपा गया। इसके बाद उनके परिवार वालों को बुलाकर बाल कल्याण समिति के माध्यम से उनके सुपुर्द कर दिया। सभी को हिदायत दी गई कि कोई उनसे बाल श्रम नहीं कराएगा।

केस-वन

कोरोना काल में चाइल्ड लाइन को एक ऐसा बच्चा मिला जो बाल मजदूरी कर रहा था। मालिक ने उसका नाम भी बदल दिया था। छानबीन के बाद पता लगा कि बच्चा मेरठ का रहने वाला है। वह अपने घर से भागकर आ गया था। पुलिस की मदद से बच्चे के परिवार का पता लगाकर उसे वहां भेज दिया है। इससे उसके परिवार में बेहद खुशी है।

केस-दो

काेरोना संक्रमण के दौरान चाइल्ड लाइन को एक सत्रह साल की बिटिया मिली। किशोरी कई दिन तक बेहद गुमसुम रही। बाद में पता लगा कि वह अमरोहा की रहने वाली थी। मामा की बेटी से मारपीट करने के बाद वह घर से भाग आई थी। परिवार के बारे में पता करने के बाद किशोरी को उनके सुपुर्द कर दिया गया।


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