Story of womens struggle : महिलाओं ने अपने गांव पर लगे अवैध शराब के काले धब्बे को मिटाया, पुरुषों को काम पर लगाया
Story of womens struggle कुछ समय पहले तक यहां पौ फटते ही शराब के जाम छलकने लगते थे। मारपीट शुरू हो जाती। घर में रोज विवाद होते। महिलाओं का तो जीना मुहाल था। जुल्म अपने ही मर्द कर रहे थे तो महिलाएं खामोश रहीं मगर सिलसिला यहीं नहीं थमा।
मुरादाबाद (सौरव प्रजापति)। जगह अमरोहा जिले के गजरौला ब्लाक का गांव कांकाठेर...। कुछ समय पहले तक यहां पौ फटते ही शराब के जाम छलकने लगते थे। मारपीट शुरू हो जाती। घर में रोज विवाद होते। महिलाओं का तो जीना मुहाल था। हर गली में सुनाई देती थी उत्पीडऩ की चीत्कार...। बच्चों का भविष्य अंधकार से घिरा था। जुल्म अपने ही मर्द कर रहे थे तो महिलाएं लंबे समय तक खामोश बनी रहीं, मगर सिलसिला यहीं नहीं थमा। धीरे-धीरे आंच अस्मत पर आने लगी, जिसके बाद नारी शक्ति का सम्मान जाग उठा। तय किया कि गांव को बदलकर रहेंगी। इसके लिए उन्होंने पुलिस-प्रशासन का मुंह नहीं ताका...। खुद ही लंबा संघर्ष किया और आखिर में वे अपने मकसद में कामयाब हो गईं। आज नजारा बदल चुका है। गांव में न तो शराब बनती है और न ही बिकती है। सारे मर्द काम धंधे में जुटे हैैं। बच्चों की पढ़ाई चल पड़ी है। आगे हालात खराब न हों, इसलिए महिलाएं समय-समय पर जांच-पड़ताल पर निकलती हैैं।
कांकाठेर की आबादी करीब 15 हजार है। कुछ साल पहले यहां की फिजा में कच्ची शराब का जहर ऐसा घुला, पूरा गांव बर्बादी की डगर पर चल पड़ा। शायद ही कोई शख्स हो, जो शराब बनाने या पीने में लिप्त न हो। परिवारों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो चुुकी थी। खाने के लाले पड़ने लगे। महिलाओं पर ज्यादती आम बात थी। धीरे-धीरे गांव के मनचले बहू-बेटियों पर गलत निगाह डालने लगे जिसके बाद महिलाएं मुखर हो उठीं। एक के बाद दो के बाद तीन और फिर 30 महिलाएं जुटीं और शराब के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। शराबियों को खुद ही थाने तक पहुंचाया, कलक्ट्रेट तक पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद की। इसका असर यह हुआ कि धीरे-धीरे गांव के मर्द लाइन पर आने लगे। ग्राम प्रधान जाहिद हुसैन ने बताया कि दशकों से अवैध शराब का धंधा गांव में चोखा था। रोजाना पुलिस-आबकारी की टीम छापेमारी कर लोगों को पकड़ती मगर, हालात नहीं बदले। आखिर में महिलाओं के आंदोलन ने वो कर दिखाया, जिसे पुलिस भी न कर पाई।
प्रभारी निरीक्षक गजरौला आरपी शर्मा ने बताया कि महिलाओं ने अवैध शराब के खिलाफ आंदोलन चलाकर वाकई सराहनीय कार्य किया है। अब कांकाठेर में शराब से जुड़ी शिकायतें नहीं आती हैं। दिसंबर 2020 में गांव से सिर्फ मारपीट और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ। महिलाओं की पहल पर दोनों में समझौता हो गया। दिसंबर 2019 में शराब पीकर मारपीट एवं आपसी झगड़े के 17 मुकदमे दर्ज हुए थे। जिलाधिकारी अमरोहा उमेश मिश्र ने बताया कि महिलाओं की मुहिम से अब गांव शराब मुक्त है। इनसे अन्य गांवों की महिलाओं को भी जागरूक होना चाहिए। मातृशक्ति जो ठान ले, पूरा करके ही मानती है।
आंदोलन में शामिल थीं यह महिलाएं
कांकाठेर में शराब मुक्त अभियान चलाने में गांव निवासी कलावती, यशोदा, ज्वाला देवी, ओमवती, रेखा रानी, यशोदा, भूरी देवी, राजेश्वरी, मुन्नी देवी, चंद्रकली, कस्तूरी देवी, भाग्यवती, मायादेवी, राजवती, अनीता, मंजू देवी समेत 30 महिलाएं शामिल रहीं। उनका कहना है कि अभियान बंद नहीं हुआ है। समय-समय पर गांव में घूमकर शराब के पुराने ठिकाने चेक करते हैैं।