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गरीबी की दहलीज पार कर महिलाओं ने लिखी कामयाबी की इबारत Moradabad News

अगर वित्तीय संस्थानों और सरकारी मदद ठीक से मिले तो एलईडी बल्ब चप्पल और आटा चक्की लगाने का इरादा है ताकि और महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया जा सके।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 08:32 AM (IST)
गरीबी की दहलीज पार कर महिलाओं ने लिखी कामयाबी की इबारत Moradabad News
गरीबी की दहलीज पार कर महिलाओं ने लिखी कामयाबी की इबारत Moradabad News

मोहन राव, मुरादाबाद। अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी परेशानी राह का रोड़ा नहीं बन सकती। गरीबी की दहलीज पार कर खुद को आत्म निर्भर बनाने की ठानी तो आज बिलारी ब्लॉक के रुस्तमनगर सहसपुर में अनीता स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाएं कामयाबी की इबारत लिख रही हैं। काम शुरू करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सरकारी मदद के रूप में 15 हजार रुपये मिले तो समूह से जुड़ी महिलाओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में समूह का टर्नओवर 10 लाख पहुंच गया है। अनीता स्वयं सहायता समूह में 11 महिलाएं जुड़ी हैं। समूह गठन के शुरूआती चार महीने तक महिलाओं ने सौ रुपये प्रति सप्ताह बचत के रूप में बैंक खाते में जमा किये। समूह के चार माह तक सफलता पूर्वक संचालित होने के बाद आजीविका मिशन से स्टार्टअप के रूप में 15 सौ रुपये मिले। इस पैसे से समूह ने कैलकुलेटर, कागजात रखने के लिए संदूक, रजिस्टर आदि खरीदे। मिशन के तहत समूह को काम आगे बढ़ाने के लिए 15 हजार रुपये और मिले तो सिलाई मशीन खरीदकर काम शुरू किया। सिलाई का काम शुरू ही किया था कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों की ड्रेस सिलने का आर्डर मिला। बड़ा आर्डर मिलने से महिलाएं झूम उठीं। बनियाठेर, शिकारपुर, हाजीपुर, खानपुर,  समेत कई स्कूलों के बच्चों को ड्रेस सिलकर दीं। मनरेगा के तहत सिटीजन इन्फार्मेशन बोर्ड बनाने का काम मिला। इसमें सौ से अधिक बोर्ड बनाकर समूह की महिलाओं ने दिये हैं।

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मनरेगा में फंसे हैं पांच लाख। मनरेगा के तहत बनाये गये सिटीजन इन्फार्मेशन बोर्ड में समूह को पांच लाख रुपये सात माह से नहीं मिले हैं, इसके बाद भी समूह की महिलाएं निराश नहीं हैं।

एलईडी बल्ब और चप्पल बनाने की तैयारी। स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष अनीता का कहना है कि समूह से जुड़ी महिलाएं अब इस स्थिति में हैं कि  उन्हें अपने बच्चों को पालने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। शुरूआत में दिक्कत हुई लेकिन, अब सब ठीक है। अगर वित्तीय संस्थानों और सरकारी मदद ठीक से मिले तो एलईडी बल्ब, चप्पल और आटा चक्की लगाने का इरादा है ताकि और महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया जा सके।

जल्द होगा भुगतान। मनरेगा के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार का कहना है कि समूह ने बहुत पहले काम किया था, इनका भुगतान रुका है। बिल, बाउचर को ऑनलाइन फीड कराया गया है, जैसे ही मटेरियल मद में पैसा आएगा तो भुगतान हो जाएगा।


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