एसडीएम के प्रयास से अब स्कूल में खिलखिलाता नजर आएगा प्यालियां धोने वाला बचपन Amroha news
एसडीएम ने चाय के बर्तन साफ करने से मासूमों को छुटकारा दिलाने के साथ ही पुस्तक बैग दिलाकर स्कूल में दाखिला दिला दिया।
अमरोहा, जेएनएन। हसनपुर में चाय की दुकान पर बर्तन साफ कर अपना जीवन गुजार रहे दो मासूमों की जिंदगी संवारने का एसडीएम ने बीड़ा उठाया है। उन्होंने न केवल अल्पसंख्यक इन मासूमों को स्कूल में दाखिला दिलाया बल्कि पुस्तक और बैग दिलाकर स्कूल भी भेजना शुरू कर दिया है। एसडीएम के प्रयास से दोनों बच्चों में अब अपना जीवन संवरने की उम्मीद जगी है, इसलिए दोनों खुशी-खुशी स्कूल भी गए।
समाधान दिवस पर मंगलवार को दोनों के परिवार के लोगों को बुलवाया गया था। एडीएम गुलाब चंद्र ने उनको स्कूल बैग, किताबें एवं स्टेशनरी प्रदान की। किताबें देखकर बच्चेे खुश हो गए और हसनपुर ब्लॉक की पाठशाला में पढऩे चले गए। एसडीएम विजय शंकर ने परिजनों से कहा, बचपन में उनसे नौकरी न कराएं, क्योंकि यह कानूनी जुर्म है। जितना पैसा दोनों बच्चों को नौकरी की एवज में मिलता है, उसकी भरपाई कराई जाएगी। एसडीएम ने आश्वस्त किया कि वह कहीं भी रहें, मेहराव व जैद की शिक्षा का पूरा ख्याल रखेंगे।
चाय की दुकान पर काम करते थे दोनों
एसडीएम विजय शंकर रविवार को पालिका कार्यालय में सरकारी काम निपटा रहे थे। इस दौरान उन्होंने चाय मंगाई तो मासूम मेहराव व मुहम्मद जैद चाय लेकर पहुंचे। हाथों में चाय के कप देखकर उनका दिल पसीज गया। बच्चों की जुबानी उनके परिवार की स्थिति का पता चला तो उन्होंने दोनों ही बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है। मेहराव के पिता नूरउल जमा की गंभीर बीमारी से मौत हो चुकी है। माता तबस्सुम सिलाई करके पेट भरती हैं लेकिन, आठ बहन भाइयों का इसमें गुजारा नहीं होता। इसलिए वह 90 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी पर चाय की दुकान पर बर्तन साफ करता था। दूसरे बच्चे मुहम्मद जैद की माता नहीं है। गरीबी में उसका भी बचपन चाय की दुकान पर गुजर रहा था।
एसडीएम विजय शंकर ने दोनों बच्चों को चाय की दुकान से छुटकारा दिलाकर स्कूल भेजकर वाकई सराहनीय एवं प्रेरणा दायक काम किया है।
-गुलाब चंद्र, एडीएम, अमरोहा