सरकार के इस फैसले से बदल जाएंगा आपका बैंक खाता नंबर
केंद्र सरकार के बैंक आफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय की घोषणा से मुरादाबाद के दो लाख से ज्यादा ग्राहक परेशान हैं। बैंकों के विलय होने से इन ग्राहकों को बैंक नंबर भी बदल जाएंगे।
मुरादाबाद (प्रांजुल श्रीवास्तव): बैंक ऑफ बड़ौदा, देना और विजया बैंक के दो लाख से ज्यादा ग्राहकों को अब यही लग रहा है कि कहीं उनके खाता नंबर ही न बदल जाए। दरअसल, वित्त मंत्रालय की ओर से इन बैंकों के विलय की घोषणा के बाद बैंकों के ग्राहकों के बीच कश्मकश की स्थिति बनी हुई है।
ग्राहकों में मची है आपाधापी
इन तीनों बैंकों में म्यूचुअल फंड लिए ग्राहकों के बीच भी आपाधापी की स्थिति बनी हुई है कि उनका म्यूचुअल फंड विलय के बाद किस बैंक के पास जाएगा। दरअसल, बीओबी, देना और विजया बैंक अलग-अलग सॉफ्टवेयर पर काम करते हैं। जिस कारण इन तीनों बैंकों के खाता नंबरों की संख्या भी अलग हैं। अब अगर घोषणा के तहत तीनों बैंकों के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो खाता नंबरों का बदलना भी लाजमी है। ऐसे में ग्राहकों के लिए यह घोषणा परेशानी का सबब बनी हुई है।हजारों ग्राहक ऐसे भी हैं जिनका खाता कई जगह लिंक है ऐसे में यह भी डर है कि कहीं खाता नंबर बदलने के बाद हर जगह बदलाव न कराना पड़े।
कई शाखाओं में भी पड़ेंगे ताले
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के सचिव नवनीत कुमार का कहना है कि विलय के बाद अन्य बैंकों की शाखाओं पर भी ताले पड़ जाएंगे। जिसके बाद इन बैंकों के कई कर्मचारियों को दूसरी शाखाओं में तैनाती दी जाएगी। जिससे वरिष्ठ कर्मचारियों के प्रमोशन पर भी खतरा होगा। एक बैंक में 25 से तीस हजार खाते -इस समय बैंक ऑफ बड़ौदा की एक ब्रांच में 25-30 हजार खाते हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के ही आंकड़ों को देखें तो मात्र मुरादाबाद में नौ शाखाएं हैं। ऐसे में लाखों खाता धारकों को इस विलय के बाद परेशानी हो सकती है।
एनपीए बढ़ने का भी खतरा
बैंक कर्मचारियों की मानें तो बैंकों के विलय से नॉन परफार्मेस असेट यानी एनपीए बढ़ने का भी खतरा है। क्यों कि विलय के बाद कई लोन अकाउंट एक बैंक से दूसरे बैंक में शिफ्ट किए जाएंगे जिससे बैंकों का पैसा डूब भी सकता है। हालांकि वित्तीय सलाहकार खालिद का कहना है कि बैंकों के विलय से मात्र तीन प्रतिशत का फर्क एनपीए पर पड़ रहा है। अब तीनों बैंकों के साफ्टवेयर अलग -यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के संरक्षक एसपी सिंह का कहना है कि स्टेट बैंक के विलय के समय सभी बैंकों के सॉफ्टवेयर एक थे। इसलिए खाता नंबर बदलने जैसा खतरा नहीं था। अब इन तीनों बैंकों के सॉफ्टवेयर अलग हैं ऐसे में खाता नंबर बदल सकते हैं।
हमारे पास कोई जानकारी नहीं
लीड बैंक मैनेजर महेश प्रसाद का कहना है कि बैंकों के विलय के बारे में कोई जानकारी हमारे पास नहीं आई है। इसलिए अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। अगर विलय होगा भी तो ग्राहकों को कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी