अतिक्रमण से विलुप्त होने की कगार पर रामगंगा नदी आखिरकार क्यों जानने के लिए पढ़े
मुरादाबाद में अतिक्रमण से विलुप्त होने की कगार पर रामगंगा नदी आखिरकार क्यों जानने के लिए पढ़े।
मुरादाबाद : गंगा की सहायक नदी रामगंगा का अस्तित्व अतिक्रमण के कारण विलुप्त होने की कगार पर है। रामगंगा के भीतर तक बस्तियां बस गई हैं। गगनचुंबी इमारतें रामगंगा के खादर में जिला प्रशासन की कमजोर इच्छा शक्ति को मुंह चिढ़ा रही हैं। यही नहीं ई-कचरा से रामगंगा प्रदूषित हो चुकी है। अवैध रूप से ई-कचरा नदी के किनारों पर खपाए जाने के नाम पर मुरादाबाद विश्वभर में बदनाम हो चुका है। अब से ढाई दशक पहले रामगंगा की धारा सीधे बहती थी। जलस्तर कम होने से लोगों को इसके बीच में आवास बनाने का मौका मिला गया। नगर निगम, जिला प्रशासन, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की जानकारी में होते हुए भी वह इन अवैध बस्तियों को बसाने से नहीं रोक पाए हैं। एक दर्जन बस्तियां रामगंगा में अवैध रूप से बसी हैं। वहीं प्रापर्टी डीलर्स ने कालोनी बसाने के नाम पर रामगंगा के एक बड़े हिस्सा पर कब्जा कर लिया है। अतिक्रमण से कराह उठी है रामगंगा
विवेकानंद पुल से रामगंगा जलधारा सीधी चलती है, लेकिन यहां आगे शहर की ओर आते ही अतिक्रमण का शिकार हो गई। रामगंगा विहार स्थित मोक्षधाम से आगे इसकी तलहटी में प्लाटिंग ने रामगंगा की धारा को सीधे बहने से रोक दिया है। रामगंगा विहार से पीतल बस्ती तक रामगंगा नदी में अतिक्रमण है। जब बाढ़ आती है तो रामगंगा अपने पुराने अस्तित्व में होती है और रामगंगा किनारे बसी अवैध बस्तियों में पानी घुसता है। रामगंगा की अपनी चौड़ाई करीब 800 मीटर मानी जाती है। इसी में कभी इस पार तो कभी उस पार कटान करके रुख बदलती है। रामगंगा ने जब शहर के दूसरी छोर की ओर से रुख किया तो भूमाफिया को इसके किनारे कब्जा करने का मौका मिल गया। अतिक्रमण से रामगंगा कराह उठी है। रामगंगा में बसा है वारसी नगर
मुगलपुरा थाना क्षेत्र में वारसी नगर रामगंगा नदी में बसा है। इसका अंदाजा जामा मस्जिद पुल व रामपुर रोड स्थित रामगंगा पुल से नजर दौड़ाकर लगाया जा सकता है। यहां से पूरा वारसी नगर रामगंगा में बसा नजर आएगा। माफिया की मिलीभगत कारखाने, फैक्ट्री तक रामगंगा की जमीन में अवैध रूप से बना लिए हैं। यही नहीं नगर निगम ने भी वारसी नगर में सड़कें, पथ प्रकाश और पेयजल सप्लाई मुहैया करा दी है। यह जानते हुए भी कि यह कालोनी पूरी तरह अवैध है। प्रशासन की कमजोर इच्छाशक्ति ने कराया कब्जा
जिला प्रशासन की कमजोर इच्छा शक्ति ने रामगंगा की तलहटी में कब्जा कराया है। दो साल पहले नवाबपुरा, वारसी नगर में जिला प्रशासन ने कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाया था। दो दिन अभियान के बाद जिला प्रशासन पर दबाव पड़ते ही कार्रवाई को रोक दिया गया। जिला प्रशासन ने तब इच्छा शक्ति दिखाई तो अवैध रूप से बने दर्जनों कारखाने, फैक्ट्री व मकान गिरा दिए गए थे। लेकिन, राजनीति के आगे यह इच्छा शक्ति दम तोड़ गई। इस अभियान से गुस्साए लोगों ने नगर आयुक्त के आवास पर तोड़फोड़ तक कर दी थी जबकि इस अभियान की रणनीति जिला प्रशासन की थी। लालबाग स्थित काली मंदिर के पास रामगंगा में अवैध रूप से कब्जा है। नवाबपुरा, चक्कर की मिलक, पीतल बस्ती में भी रामगंगा की जमीन में अतिक्रमण हो चुका है। ई-कचरा व पीतल ने प्रदूषित कर दी रामगंगा
दिल्ली के सीलमपुर से अवैध रूप से ई कचरा खरीदकर मुरादाबाद में जलाए जाने से रामगंगा नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गई है। इसकी राख से रामगंगा तट काला ही काला दिखता है। यही नहीं पीतल कारोबारियों ने रामगंगा के किनारे गड्ढे बना रखे हैं, जिसमें केमिकल डालकर पीतल को चमकाने का काम किया जाता है और यह केमिकल रामगंगा में बह जाता है जिससे रामगंगा प्रदूषित हो रही है। ई कचरा पर प्रतिबंध लगाने के लिए पुलिस ने कार्रवाई तो की है, लेकिन सांठगांठ के चलते इसे रोका नहीं जा सका है। दैनिक जागरण ने ई-कचरा के खिलाफ पांच साल पहले अभियान चलाया था, जिसके बाद जिला प्रशासन व पुलिस सक्रिय हुई और ई-कचरा पर काफी हद तक रोक लग सकी। नगर आयुक्त अवनीश कुमार शर्मा ने कहा है कि जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह अतिक्रमण हटाने में सहयोग करे। नगर निगम संसाधन उपलब्ध करा सकता है। अवैध कालोनी बनने से नगर निगम को ही सबसे ज्यादा दिक्कते हैं। स्मार्ट सिटी में राम गंगा किनारे पर्यटक स्थल बनाया जाना है। जिला प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाने की रणनीति बनाई जाएगी।
क्या कहते हैं लोग
मुहम्मद रहमान कहते हैं कि रामगंगा किनारे से अतिक्रमण हटना चाहिए। अतिक्रमण के कारण ही रामगंगा प्रदूषित हो रही है जबकि मुहम्मद नईम बताते हैं कि रामगंगा के पुराने अस्तित्व को याद कीजिए और अबकी रामगंगा का हाल देख लीजिए। पहले वाली रामगंगा अब नहीं रही। जाकिर हुसैन का कहना है कि जिला प्रशासन की कमजोर इच्छा शक्ति से माफियाओं को रामगंगा में कब्जा करने का पूरा मौका दिया जा रहा है। खुर्शीद अहमद का कहना है कि रामगंगा नदी का पुराना अस्तित्व अब वापस आएगा या नहीं कहना मुश्किल है, लेकिन अब तो इसे बचा लीजिए।