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जब हिंसा की आग में जल रहा था जिला, तब चौपला में थी शांति Amroha news

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते दिनों जहां पूरा देश हिंसा की आग में झुलस रहा था वहीं तब अमरोहा जिले की औद्योगिक नगरी गजरौला आपसी सौहार्द की मिसाल पेश कर रही थी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 10:30 AM (IST)
जब हिंसा की आग में जल रहा था जिला, तब चौपला में थी शांति Amroha news
जब हिंसा की आग में जल रहा था जिला, तब चौपला में थी शांति Amroha news

राजेश राज, गजरौला (अमरोहा) : नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते दिनों जहां पूरा देश  हिंसा की आग में झुलस रहा था वहीं, तब अमरोहा जिले की औद्योगिक नगरी गजरौला आपसी सौहार्द की मिसाल पेश कर रही थी। यहां के चौपला के तीन कोनों पर मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारा बने हैं। इस क्षेत्र में किसी ने विरोध प्रदर्शन नहीं किया।

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शहर को नहीं लगा नफरत का कलंक 

दरअसल, औद्योगिक नगरी अमन पसंद लोगों का शहर है। यहां के लोग मजहब से नहीं बल्कि इंसानियत से प्यार करते हैं। यहां हिन्‍दू बस्तियों में मस्जिदें बनी हैं लेकिन, जाति-धर्म के नाम पर कोई हिंसा या विवाद कभी नहीं हुआ। यही कारण है कि इस शहर को कभी नफरत का कलंक नहीं लगा है। यहां चौहानपुरी यानी हिन्‍दुओं बस्ती में मस्जिद भी है। ऐसे ही चौपला चौराहे पर पूरब-दक्षिण दिशा में गुरुद्वारा, शिव मंदिर पश्चिम-उत्तर व मस्जिद पश्चिम-दक्षिण दिशा में स्थित है। 

यहां नहीं हुआ कोई विवाद 

जामा मस्जिद कमेटी के सचिव जिफरू रमजान ने बताया कि वर्ष 1966 में चौपला पर जामा मस्जिद की स्थापना हुई थी। यहां पर न तो कभी नमाज पढऩे को लेकर कोई विवाद हुआ है और न ही कभी अन्य किसी बात को लेकर। यहां के लोग अमन पसंद करते हैं।

हर धर्म के लोग एक दूसरे का देते हैं साथ 

शिव मंदिर सेवा समिति कमेटी के अध्यक्ष विनोद गर्ग ने कहा कि वर्ष 1992 में चौपला पर हसनपुर रोड पर शिव मंदिर की स्थापना हुई थी। बचपन से बड़े हो गए हैं और अब इस मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। अभी तक कभी कोई सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाडऩे वाली बात सामने नहीं आई। हर धर्म के लोग एक दूसरे का साथ देते हैं। 

तीनों कोनों पर धार्मिक स्थल होने से होती है एक अलग पहचान 

गुरुद्वारा साध संगत कमेटी सदस्य हरजीत सिंह ने बताया कि वर्ष 1960 में गुरुद्वारे की स्थापना हुई थी। उसके बाद जामा मस्जिद व शिव मंदिर की स्थापना हुई। चौराहे के तीनों कोनों पर धार्मिक स्थल होने से एक अलग की पहचान होती है। बड़े बुजुर्गों से भी कभी मजहबी विवाद के बारे में सुना नहीं है।


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