क्या हुई ऐसी गड़बड़ जो, शौचालयों की जांच-पड़ताल में घिरा पूरा सरकारी सिस्टम... Moradabad News
माडल-मानक नहीं चढ़ा परवान सरकार ने बांट दिया अनुदान। कहीं खोदा एक टैंक तो कहीं शौचालय में बांधी बकरी। इससे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं।
आशुतोष मिश्र, मुरादाबाद : संपूर्ण स्वच्छता मुहिम और शौचालय निर्माण की पड़ताल में पूरा सिस्टम फंसा दिख रहा है। कागजों में गांव ओडीएफ और मौके पर शौचालयों में बकरी बांधे जाने की बातें सामने आ चुकी हैं। प्रशासनिक जांच में शौचालय बनवाने की सरकारी कवायद के कई ऐसे पन्ने खुले हैं जो प्रधान, सचिव और निगरानी करने वाले अफसरों की सतर्कता को सवालों में घेर रहे हैं।
संपूर्ण स्वच्छता अभियान और हर घर में शौचालय से संतृप्त करने वाली योजना की पड़ताल में निर्माण के दावे की पोल खुल रही है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि शौचालयों के निर्माण और पात्रता के चयन में खूब मनमानी हुई है। पहले से बने और खराब पड़े टैंक के नाम पर सरकारी धन का आहरण कर लिया गया है। जिले में 57 ग्राम सभाएं ऐसी हैं जहां इस तरह की शिकायत हैं। शासन ने इस मामले की निगरानी बढ़ा दी है। डीएम ने जिला स्तरीय अफसरों की टीम को शौचालय बनाने में मानकों की अनदेखी, सरकारी घन के उपयोग और तैयार शौचालयों के उपयोग की जांच शुरू करा दी है। ऐसे प्रकरणों दस से अधिक प्रधान और सचिव घिर चुके हैं।
प्रकरण-एक
कुंदरकी ब्लाक के मुडिय़ा भीकम गांव में 355 शौचालयों के निर्माण का फंड जारी हुआ है। इस गांव में शौचालय निर्माण की जांच में कई आश्चर्यजनक मामले सामने आए हैं। प्रमाणित हुआ है कि 66 लोगों को मांग किए बिना फंड जारी कर दिया गया। जांच में बिना निर्माण के धन आहरित करने को लेकर प्रधान और सचिव के खिलाफ रिकवरी आदेश जारी हुआ है।
प्रकरण- दो
कुंदरकी ब्लाक के चकहबीबपुर गांव में शौचालय बने बिना पैसे जारी करा लिया गया। इस प्रकरण में सचिव और प्रधान से पूछताछ की गई है। गांव के लोगों ने डीएम से इस बात की शिकायत की है कि 37 लोगों के नाम अनुदान निकाल लिया गया है। जांच में गांव में शौचालय का निर्माण नहीं पाया गया। प्रशासन की जांच में इस बात के प्रमाण भी मिल गए हैं।
प्रकरण- तीन
कुंदरकी ब्लाक के सोनकपुर गांव में शौचालय बनवाने के टारगेट में खेल हुआ है। प्रधान और सचिव की ओर से गांव में 574 शौचालय के प्रस्ताव स्वीकृत हुए। जांच में मौके पर 79 शौचालय नहीं मिले। उसका अनुदान जारी हो गया। आठ और छब्बीस नवंबर को जांच टीम गांव गई। टीम को मौके पर नब्बे शौचालय मिले ही नहीं। 374 शौचालयों में एक ही टैंक बना था। जबकि दो टैंक का मानक है।
इन ब्लाकों में शिकायतें अधिक
भगतपुर टांडा
डिलारी
ठाकुरद्वारा
बिलारी
छजलैट
कुंदरकी
ओडीएफ का सच, शौचालयों निर्माण की वास्तविकता, पात्रता को लेकर उठे सवाल और निर्माण की सच्चाई देखने के लिए जिला स्तरीय अफसर नामित किए गए हैं। अतिरिक्त पात्रों को दिए गए धन का उपयोग कैसे हुआ है? इसकी भी जांच कराई जा रही है।
राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी।