खुद की टीम बनाकर शराब छुड़ाने की राह पर गांव की बेटी सुषमा Moradabad News
नशा छोडऩे और शिक्षा से जोड़ रहीं सुषमा-जरूरतमंद परिवारों की बेटियों व निरक्षर महिलाओं को कर रही शिक्षित!
तेज प्रकाश सैनी, मुरादाबाद। ग्रामीण परिवेश में मध्यम वर्गीय परिवार से पढ़कर बीकॉम की शिक्षा हासिल करने वाली सुषमा कश्यप नशा मुक्ति और गरीबों के बच्चों की शिक्षा को लेकर गांव-गांव घूम रही हैं। चार साल में गांवों में ऐसे परिवारों की खुशी का माध्यम बनी है, जिनके घर में किसी का बेटा तो किसी के पति को शराब पीने की लत थी। वह किसी संगठन के माध्यम से नहीं बल्कि अपनी टीम बनाकर निस्वार्थ भाव से काम में जुटी है। टीम के साथ घरों में जाकर सुषमा कश्यप शराब पीने वालों से बात करती है। शराब से नुकसान और परिवार के बर्बाद होने की वास्तविक घटनाएं बताती है। इसका असर हुआ और शराब छोड़कर युवा भी सुषमा के साथ जुड़कर नशा मुक्ति की राह पर निकल पड़े हैं। सुषमा ने बताया कि मेरे चाचा की मृत्यु भी शराब पीने से हुई थी, तभी से एक बात ठान ली थी कि नशे के खिलाफ आवाज उठानी है। शराब की लत छोडऩे वालों में शामिल मैनाठेर निवासी जितेंद्र के माता-पिता नहीं थे। उसने शराब पीने की आदत काउंसलिंग के बाद छोड़ दी। अब वह नशा मुक्ति अभियान से जुड़ गए। सुषमा बताती है कि जागरूकता से ही लोग नशा छोड़ते हैं। वह किसी को नशा मुक्ति केंद्र पर लेकर नहीं गई। पाकबड़ा ही नहीं आसपास के कई गांव समाथल, रतनपुरकला, गिन्नौर में नशा मुक्ति के लिए लोगों की बैठक करके समझाती आ रही हैं।
वंचित बच्चों को पढ़ाई का संकल्प दिलाया
सुषमा ने निरक्षर महिलाओं व शिक्षा से वंचित बच्चों को अपनी पढ़ाई के साथ उनको पढ़ाने का संकल्प लिया। रविवार को अवकाश में फुर्सत मिलने पर वह महिलाओं को पढ़ाने का काम करतीं हैं। नानक बाड़ी निवासी छाया जिसकी पढ़ाई गरीबी के कारण छूट गई थी। उसकी काउंसलिंग करके स्कूल भेजना शुरू किया। कहती हैं कि छाया अब नियमित स्कूल जा रही है। यही नहीं गांव की बेटियां कक्षा आठवीं के बाद स्कूल नहीं जातीं, ऐसे परिवारों में जाकर मां-बाप को समझाया। खुद का उदाहरण दिया। सुषमा की मेहनत का नतीजा है कि करीब दो दर्जन बेटियों ने नवीं में दाखिला लिया और आगे की पढ़ाई कर रही हैं।