अभी भी मौका है भर दें रिटर्न, वर्ना पड़ेगा पछताना
वित्तीय वर्ष 2017-18 का रिटर्न नहीं भरा है तो 31 मार्च तक भरने का अंतिम मौका है उसके बाद रिटर्न भरने का मौका नहीं मिलेगा।
मुरादाबाद, जेएनएन। वित्तीय वर्ष 2017-18 का रिटर्न नहीं भरा है तो 31 मार्च तक भरने का अंतिम मौका है, उसके बाद रिटर्न भरने का मौका नहीं मिलेगा। चालू वित्तीय वर्ष में टैक्स जमा किया है या कम जमा किया है तो 31 मार्च तक वास्तविक टैक्स जमा करने का मौका है। उसके बाद आयकर विभाग कार्रवाई करेगा। नियमों में किया गया बदलाव रिटर्न भरने के नियम में परिवर्तन हो गया है। एक बार में एक ही वित्तीय वर्ष का रिटर्न दाखिल करने का नियम बनाया है। उदाहरण के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 का बिना दंड का रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 18 थी। आयकर विभाग ने दंड के साथ रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 मार्च 19 निर्धारित की है। 31 मार्च तक रिटर्न नहीं भरने वालों को दोबारा रिटर्न भरने का मौका नहीं मिलेगा। मुरादाबाद आयकर अनुभाग में आयकर भुगतान के बाद भी दो हजार से अधिक आयकर दाता ने रिटर्न दाखिल नहीं किया है। कुछ ऐसे आयकर दाता हैं जिन्होंने आयकर नहीं दिया और रिटर्न भी दाखिल नहीं किया है। 15 मार्च थी अंतिम तारीख इसी तरह से वित्तीय वर्ष 2018-19 का एडवास टैक्स जमा करने की अंतिम तारीख 15 मार्च थी। जोन में आयकर दाताओं ने चार सौ करोड़ रुपये आयकर जमा किया है। जो लक्ष्य से 160 करोड़ रुपये कम है। कुछ आयकर दाताओं ने तो आयकर का भुगतान ही नहीं किया है। आयकर विभाग ने ऐसे आयकर दाता को 31 मार्च तक वास्तविक आयकर जमा करने की अपील की है। रिटर्न व सही आयकर नहीं भरने वाले आयकर दाताओं के बारे में आयकर विभाग सूचना एकत्रित करेगा और विभागीय कार्रवाई करेगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिनव अग्रवाल ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए रिटर्न भरने और वित्तीय वर्ष 2018-19 का आयकर जमा करने का 31 मार्च तक अंतिम मौका है। उसके बाद आयकर विभाग सूचना एकत्रित कर कार्रवाई कर सकता है।
ब्राडेड आइटम की हो जाएगी किल्लत ब्राडेड आइटम की कुछ दिनों के लिए किल्लत होने की संभावना है। क्योंकि एडवास टैक्स जमा करने के बाद कंपनिया 15 मार्च के बाद माल की बिक्त्री कम कर देती हैं। दो अप्रैल से बाजार में उत्पादन की आपूर्ति शुरू की जाती है। आयकर विभाग के नियम के अनुसार कंपनी को 31 मार्च तक होने वाली आय का एडवास टैक्स अनुमान के आधार पर 15 मार्च तक जमा करना पड़ता है। कंपनी 15 मार्च तक बिक्त्री होने वाले उत्पादन के आधार पर एडवास टैक्स जमा कर देती है। कंपनिया माल का उत्पादन बंद नहीं करती हैं, लेकिन 16 मार्च से बाजार में माल भेजना बंद कर देती हैं। कई बार माग बढ़ जाने से ब्राडेड कंपनी का माल बाजार में नहीं मिलता है। फुटकर बिक्त्रेता का जवाब होता है कि अप्रैल में माल मिलेगा। फुटकर विक्त्रेताओं को भी लाभ होता है। स्टॉक में बचा माल भी मार्च में बिक जाता है। कई कंपनिया फरवरी में ही अधिक माल की बाजार में आपूर्ति कर देती हैं। कंपनी नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद दो अप्रैल से अपने उत्पादन को बाजार में भेजना शुरू कर देती हैं। दस अप्रैल से उपभोक्ताओं को सभी उत्पाद मिलने शुरू हो जाते हैं।
जीएसटी ने कंपनियों व व्यापारियों को जरूर राहत दी है। 31 मार्च तक उत्पादन माल या बिक्त्री पर जीएसटी 20 अप्रैल तक जमा करनी होती है, इसलिए कंपनी को माल का उत्पादन करने में कोई परेशानी नहीं होती है। वरिष्ठ कर अधिवक्ता एके सिंघल कहते हैं कि कंपनी को आयकर व जीएसटी दोनों का भुगतान करना पड़ता है। आयकर एडवास में जमा करना होता है, इसलिए कंपनी 15 मार्च के बाद उत्पादन की आपूर्ति कम कर देता हैं। जीएसटी में टैक्स देने का बीस दिन समय मिलता है, इसलिए कंपनी माल का उत्पादन करती रहती हैं।