सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बढ़ी सरकार की जिम्मेदारी
मुरादाबाद : भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं। अक्सर
मुरादाबाद :
भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं। अक्सर लड़ाई मौलिक अधिकारों के लिए होती है, लेकिन मौलिक कर्तव्य क्या है? इसको लेकर देश का कोई नागरिक चर्चा भी नहीं करता है। भारतीय संविधान ने देश के प्रति आस्था और निष्ठा बनाकर रखने का मौलिक कर्तव्य भी प्रदान किया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने निजता के मौलिक अधिकार को लेकर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने निजता को किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार माना है। इस फैसले के बाद अब किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारियां देना या न देना उस व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। अगर उसके मौलिक अधिकारों का हनन किसी के द्वारा किया जाता है,तो इस मामले में पीड़ित व्यक्ति कोर्ट जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले का अधिवक्ताओं ने स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से आम व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षा का कवच प्रदान किया है। अब हर बात के लिए जरूरी नहीं कि कोई भी नागरिक अपनी निजी जानकारी प्रदान करें। वहीं निजी जानकारियों के डाटा को सुरक्षित रखना भी अब सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन गई है।
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बोले अधिवक्ता--
किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी देना या न देना उसका मौलिक अधिकार है। इस मामले में अब मोबाइल कंपनियों की कोई जबरदस्ती नहीं चलेगी। अभी आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना शेष है। वह फैसला आने के बाद तस्वीर और भी साफ हो जाएगी।
अनुज विश्नोई,अधिवक्ता
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किसी भी व्यक्ति की निजता का हनन नहीं होना चाहिए। यह उसका मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुसार निजता पर अपना फैसला सुनाया है। जिसका हम स्वागत करते हैं।
अमीरूल हसन जाफरी,वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व बार अध्यक्ष
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सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है। हालांकि मौजूदा सरकार निजता को मौलिक अधिकार मानने को नहीं तैयार थी। इस फैसले के बाद अब कोई भी संस्था या व्यक्ति नाम,पता के अलावा अन्य निजी जानकारियां नहीं ले सकता है। जानकारी देने का फैसला उस व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करेगा। इस फैसले का हम स्वागत करते हैं।
आनंद मोहन गुप्ता,महासचिव,दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी
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आधार कार्ड के नाम पर भारतीय नागरिकों का जो डाटा सरकार ने जुटाया है,उसकी सुरक्षा करने की अहम जिम्मेदारी अब सरकार पर होगी। किसी भी नागरिक की निजी जानकारी उसका मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी के हितों का ख्याल करते हुए फैसला सुनाया है।
पंकज शर्मा,अधिवक्ता